सर्वोच्च न्यायालय में उचित पैरवी व तर्क पूर्ण कार्यवाही नहीं की गई। नतीजा, अडानी पावर को 2627 करोड़ रुपए देने पड़े। अब इसमें से 506 करोड़ रुपए नोटिस देकर रोकड़ वापिस मांगी गई है। लेकिन इस राशि का भार 1.52 करोड़ उपभोक्ताओं पर डाला जा चुका है। ऐसे में अब इस भार को उपभोक्ताओं के बिलों से हटाया जाए और बिलों में पुनर्भरण हो।
राठौड़ ने मुख्यमंत्री ने पत्र के जरिए आरोप लगाया है कि मौजूदा स्थितियों में यह साबित हो रहा है कि डिस्काॅम्स व राजस्थान उर्जा विकास निगम के अधिकारियों की मिलीगत से 4680 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार भी जनता पर डालने का प्रयास था, जो अब सफल नहीं हो पाएगा। इसलिए जनता पर बोझ बढ़ाने के षडयंत्र में शामिल अधिकारियों के विरूद्ध नियमानुसार कार्यवाही हो।