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पहाड़ों पर विनाशलीला, लंगूरों के घरों में घुस रहे इंसान

locationजयपुरPublished: Oct 26, 2018 09:00:01 am

Submitted by:

dharmendra singh

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Illegal mining

पहाड़ों पर विनाशलीला, लंगूरों के  घरों में घुस रहे इंसान

जयपुर
शहरों में बंदरों के घरों तक दस्‍तक देने से लोग परेशान हैं, इसके चलते कई बार तो हादसे भी हो जाते हैं। आबादी क्षेत्र में हो रही बंदरों की घुसपैठ से महिलाएं, बच्‍चों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जानकारों का मानना है कि इसके बंदर नहीं, इंसान जिम्‍मेदार हैं, पूरे प्रदेश में पहाड़ों पर हो रही विनाश लीला बंद न की गई तो इसके बहुत गंभीर परिणाम सामने आ सकते हैं। जोधपुर से ऐसी ही भयानक तस्‍वीर सामने आ रही है। वहां के नागौरीगेट के बाहर कागा स्थित शीतला मंदिर से सटी पहाडि़यों का लगातार सफाया हो रहा है। वन क्षेत्र की इन पहाडि़यों पर लंगूरों का प्राकृतवास भी है, जो पहाडि़यों के सफाया होने से खत्म हो रहा है।
पहाडि़यों का कोई धणी-धोरी नहीं
इन पहाडि़यों का कोई धणी-धोरी नहीं होने के कारण हजारों की संख्या में पहले ही अतिक्रमण हो चुके है और अब बची पहाडि़यों को भी खत्म किया जा रहा है। कागा की पहाडि़यों का सफाया करने से क्षेत्र के ऐतिहासिक शीतला माता मंदिर तक पहुंचने वाली पानी की पाइपलाइन को भी पूरी तरह क्षतिग्रस्त किया जा चुका है। शीतला माता (कागा तीर्थ ) ट्रस्ट के अध्यक्ष माधोसिंह कच्छवाह ने बताया कि बड़ी मुश्किलों के बाद मंदिर तक पानी की पाइपलाइन को बिछाया गया था, लेकिन इन दिनों कागा की पहाडि़यों की अंधाधुंध कटाई के कारण छह इंच की पाइपलाइन को पूरी तरह क्षतिग्रस्त कर फेंक दिया गया है। इस बारे में जब पीचईडी के अधिकारियों से शिकायत की तो उन्होंने इसकी जानकारी नहीं होना कहकर पल्ला झाड़ दिया।
माइनिंग, रेवेन्यू अधिकारी भी चुप्पी साधे
माइनिंग, रेवेन्यू अधिकारी भी चुप्पी साधे हैं। पहाड़ी का अधिकांश हिस्सा वन क्षेत्र में होने के कारण जब शीर्ष वन अधिकारियों से शिकायत की तो उन्होंने मौका मुआयना करने के लिए मंडोर रेंज के अधिकारियों को भेजा। लेकिन वन अधिकारी भी लीपापोती कर संतोषजनक जवाब देने से इंकार कर दिया। मंदिर में पिछले 15 दिनों से पानी का संकट होने के कारण मंदिर के सभी
धार्मिक कार्यक्रम प्रभावित हो रहे
जोधपुर शहर की सीमा में सात वनखंडों में आबाद 55 से अधिक बस्तियों में करीब 25 हजार से अधिक कब्जों के लिए 500 हेक्टेयर से अधिक चट्टानों का विनाश हो चुका है। इतना होने के बाद भी न तो वन विभाग और ना ही जिला प्रशासन ने कोई कठोर कदम उठाया है।
सो रहा है प्रशासन, चट हो रही चट्टानें
भूतेश्वर वन क्षेत्र में सर्वाधिक 3 हजार कब्जे हो चुके है। भूतेश्वर वन खंड की 184.76 हेक्टेयर जमीन पर करीब एक दर्जन बस्तियां ऐसी हैं, जहां आज भी अतिक्रमण का सिलसिला बदस्तूर जारी है। लोगों ने प्रतापनगर श्मशान की पहाडिय़ों को भी निशाना बनाना शुरू कर दिया है। कब्जा करने की अंधाधुंध होड़ में भू माफिया शामिल हो गए और वनविभाग की जमीनें बेचनी शुरू कर दी।
500 से भी अधिक हेक्टेयर की पहाडि़यों का सफाया
शहर के न्यू पॉवर हाउस, एम्स रोड व न्यू पाली रोड के वनक्षेत्र व्यास की बावड़ी वनखंड, सिवांचीगेट श्मशान व प्रतापनगर की पहाडि़यों वाला भूतेश्वर वनक्षेत्र, सूरसागर मंडोर रोड और किला रोड विद्याशाला रोड स्थित देवकुण्ड वन क्षेत्र, लाल सागर संतोषी माता मंदिर से सटा वन क्षेत्र, चांदना भाखर का सम्पूर्ण क्षेत्र, माचिया जैविक उद्यान के सुरक्षा दीवार का आसपास का क्षेत्र, सूथला चौपासनी रोड से सटा बड़ा भाखर वन क्षेत्र और मंडोर क्षेत्र के बेरीगंगा वन क्षेत्र में 500 से भी अधिक हेक्टेयर की पहाडि़यों का सफाया कर अतिक्रमण हो चुका है। इस भूमि की मार्केट वैल्यू वर्तमान में 500 करोड़ से भी अधिक है। बेरीगंगा वन क्षेत्र में मिलीभगत से वनभूमि पर अंधाधुंध कॉलोनियां काटी जा रही है, लेकिन कोई बोलने वाला तक नहीं बचा है।
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