scriptVideo: रोहिंग्याओं को लेकर राज्य सरकार उठाने जा रही है बड़ा कदम, जारी हुए ये निर्देश | Illegal Rohingya Will Be Sent Back Now - Rohingya Muslims in Rajasthan | Patrika News

Video: रोहिंग्याओं को लेकर राज्य सरकार उठाने जा रही है बड़ा कदम, जारी हुए ये निर्देश

locationजयपुरPublished: Jun 04, 2018 10:45:58 am

Submitted by:

dinesh

राज्य सरकारों से Illegal Rohingya Muslims की निजी और बायोमेट्रिक जानकारी मांगी गई है। इसके अलावा उन्हें किसी तरह का पहचान पत्र, आधार कार्ड न जारी करने के निर्देश दिए गए हैं…

rohingya
जयपुर। Illegal Rohingya को लेकर केंद्र सरकार के आदेश पर राज्य प्रशासन ने कार्रवाई शुरु कर दी है। एक दिन पहले म्यांमार ने बांग्लादेश से सात लाख रोहिंग्या मुसलमानों को वापस बुलाने की इच्छा जाहिर की है। इसके बाद भारत ने भी Rohingya को म्यांमार वापस भेजने की तैयारी शुरू कर दी है। भारत सरकार ने जम्मू कश्मीर समेत अन्य राज्यों को कहा है कि वह राज्यों में अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्याओं को सीमित रखें। इनकी पहचान करें और इन पर लगातार नजर बनाए रखें। राज्य सरकारों से रोहिंग्या मुस्लिमों की निजी और बायोमेट्रिक जानकारी मांगी गई है। इसके अलावा उन्हें किसी तरह का पहचान पत्र, आधार कार्ड न जारी करने के निर्देश दिए गए हैं। केंद्र की ओर से यह पूरी कवायद इसीलिए की जा रही है ताकि म्यांमार के साथ यह जानकारी साझा की जाए और अवैध शरणार्थी के तौर पर भारत में रह रहे रोहिंग्या को उनके मुल्क वापस भेजा जा सके। सरकार को डर है कि निर्धारित कैंपों के अलावा रोहिंग्या अन्य स्थानों पर न जम जाएं। साथ ही इनके कैंपों में माओवादियों की मौजूदगी का खतरा भी हो सकता है।
राज्य सरकारों को लिखे पत्र में कहा गया है कि रोहिंग्या और उनके साथ कैंपों में रहने वाले विदेशी फर्जी पहचान पत्रों का इस्तेमाल कर गैर कानून गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं। इसके अलावा रोहिंग्या मुस्लिमों के कट्टरपंथियों के चंगुल में आने से भी इनकार नहीं किया जा सकता। गृह मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि जम्मू कश्मीर के अलावा यह पत्र अन्य राज्य सरकारों को भी लिखा गया है।
देश में करीब 40 हजार रोहिंग्या मुस्लिम
इस समय देश में करीब 40 हजार रोहिंग्या मुस्लिम अवैध रूप से बसे हुए हैं। इनमें से 7,096 सिर्फ जम्मू में ही हैं जबकि हैदराबाद में 3059, मेवात में 1200, जयपुर में 400 और दिल्ली के ओखला इलाके में इनकी तादाद 1061 के करीब है।
एनजीओ बनवा रहे फर्जी दस्तावेज
मंत्रालय के मुताबिक पश्चिम बंगाल और असम में ऐसा नेटवर्क काम कर रहा है जो रोहिंग्या को देश में दाखिल होते ही उन्हें पहचान से जुड़े फर्जी दस्तावेज मुहैया कराता है। यहां तक कि मुस्लिम संगठनों के कुछ ऐसे एनजीओ भी हैं जो कैंपों में रहने वाले रोहिंग्या को सामान उपलब्ध कराते हैं। खुफिया सूत्रों जानकारी मिली है कि केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु जैसे राज्यों में भी इनका दखल बढ़ रहा है साथ ही जम्मू, हैदराबाद और अंडमान में नए शरणार्थी दाखिल हो रहे हैं।
बौद्ध से है रोहिंग्याओं का विवाद
रोहिंग्या मुसलमान और म्यांमार के बहुसंख्यक बौद्ध समुदाय के बीच विवाद 1948 में म्यांमार के आजाद होने के बाद से ही है। रखाइन राज्य में जिसे अराकान के नाम से भी जाता है, 16वीं शताब्दी से ही मुसलमान रहते हैं। ये वो दौर था जब म्यांमार में ब्रिटिश शासन था। 1826 में जब पहला एंग्लो-बर्मा युद्ध खत्म हुआ तो उसके बाद अराकान पर ब्रिटिश राज कायम हो गया। इस दौरान ब्रिटश शासकों ने बांग्लादेश से लेबर को अराकान लाना शुरू किया। इस तरह म्यांमार के रखाइन में पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश से आने वालों की संख्या लगातार बढ़ती गई। बांग्लादेश से जाकर रखाइन में बसे ये वही लोग थे, जिन्हें आज रोहिंग्या मुसलमानों के तौर पर जाना जाता है।
1982 में बर्मा ने खत्म की थी नागरिकता
रोहिंग्या की संख्या बढ़ती देख म्यांमार के जनरल ने विन की सरकार ने 1982 में बर्मा का राष्ट्रीय कानून लागू कर दिया। इस कानून के तहत रोहिंग्या मुसलमानों की नागरिकता खत्म कर दी गई। जिसके बाद ये लोग दूसरे राज्यों में शरण ले रहे हैं। हाल ही में हुई सैन्य कार्रवाई के बाद तो रोहिंग्याओं ने बड़ी संख्या में म्यांमार को ही छोड़ दिया।
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