scriptIllegal Tree Cut In Rajasthan Forest Department Income in Crore | पेड़ काटने पर रोक, फिर भी सख्ती नहीं, उलटे कटे पेड़ों से करोड़ों की 'कमाई' | Patrika News

पेड़ काटने पर रोक, फिर भी सख्ती नहीं, उलटे कटे पेड़ों से करोड़ों की 'कमाई'

locationजयपुरPublished: Dec 02, 2022 09:51:12 am

Submitted by:

Umesh Sharma

-वन क्षेत्रों में पेड़ काटने पर है रोक
-सख्त एक्शन की बजाय वन विभाग का ध्यान कमाई पर
-पिछले साल में 4.33 करोड़ रुपए की कमाई
-कार्रवाई ना के बराबर, इसलिए अवैध कटाई करने वालों के हौंसले बुलंद

पेड़ काटने पर रोक, फिर सख्ती नहीं, उलटे कटे पेड़ों से करोड़ों की 'कमाई'
पेड़ काटने पर रोक, फिर सख्ती नहीं, उलटे कटे पेड़ों से करोड़ों की 'कमाई'
जयपुर। पेड़ों को बचाने के लिए सरकार ने वन क्षेत्रों से जलाउ लकड़ी काटने पर रोक लगा रखी है। इसके बावजूद लगातार अवैध रूप से पेड़ों की कटाई जारी है। ऐसे मामलों को रोकने के लिए सख्त एक्शन लेने की बजाय वन विभाग इन लकड़ियों से ही 'कमाई' करने में जुटा है। पिछले वित्तीय वर्ष में ही विभाग ने लकड़ी से 14.30 करोड़ रुपए की कमाई की। इससे सवाल उठ रहे हैं कि क्या वाकई जंगलों में पेड़ों की कटाई रुक पाई है? विभाग जिस तरह कार्रवाई कर रहा है, उससे भी साफ है कि वनों की कटाई रोकने में विभाग फेल साबित हो रहा है। जबकि, वन मंत्री से लेकर विभाग के प्रमुख शासन सचिव तक मॉनिटरिंग का दावा करते रहे हैं।

हर साल 3 हजार मामले दर्ज

पिछले तीन सालों में वन क्षेत्र में पेड़ों की अवैध कटाई करने वालों के खिलाफ कार्रवाई का कागजी आंकड़ा कुछ राहतभरा जरूर है, लेकिन हकीकत अलग है। हर साल करीब 3 हजार मामले दर्ज किए जा रहे हैं, लेकिन ज्यादातर मामलों में केवल जुर्माना वसूलने तक की कार्यवाही कर इतिश्री की जा रही है। छह महीने तक की जेल का प्रावधान है। वन क्षेत्र में पेड़ों की अवैध कटाई करने वालों के खिलाफ राजस्‍थान वन अधिनियम 1953 व संशोधित अधिनियम 2014 के तहत कार्रवाई का अधिकार है।

ठोस नीति का अभाव

सरकार के पास अवैध रूप से पेड़ों की कटाई रोकने के लिए कोई ठोस नीति नहीं है। विधानसभा में भी इस संबंध में विधायक नरपत सिंह राजवी ने प्रश्न पूछा था, जिसमें सरकार ने साफ किया है केवल राजस्‍थान वन अधिनियम 1953 व संशोधित अधिनियम 2014 और वन्‍यजीव (संरक्षण) अधिनियम की धारा के तहत ही कार्रवाई की जाती है।
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