हालाकि दो साल पहले एनजीटी ने इन पहाडियों में चल रहे अवैध खनन पर पूरी तरह से रोक लगा दी थी। इसके बाद जेडीए ने इन पहाडियों के चारों तरफ तारबंदी करवा कर पौधारोपण करवाया था। पहाड का एक तरफ का हिस्सा तो हरियाली की चादर ओदने लगा है, लेकिन पहाडियों के अंदरूनी हिस्सों में पुलिस व प्रशासन की मिलीभगत से खनन जोर शोर से चल रहा है। ब्लास्टिंग कर मशीनों के माध्यम से पत्थर निकाला जा रहा है। विशेष बात यह है कि पहाड में जमीन की इतनी गहराई से पत्थर निकाले जा रहे है कि वहां से पत्थर लेकर वाहनों को बाहर निकलने के लिए करीब एक किलोमीटर लम्बा रास्ता तय करना पड़ता है। यहां पर होने वाली ब्लास्टिंग से ग्रामीण भी खासे परेशान है। इन पहाडियों में दो क्रेशर मशीन भी चलती है। पत्थर पीसने के दौरान इन मशीनों से निकलने वाला डस्ट ग्रामीण को सिलिकोसिस की बीमारी दे रहा है। ( Rajasthan Police )
कुछ पट्टे के दम खोद डालते है पूरी पहाडी
जयपुर शहर के आस-पास पहाडि़यों पर जमकर अवैध खनन हो रहा है। पुलिस व खनन विभागकार्रवाई के नाम पर खाना पूर्ति होती है। यहीं नहीं खनन के दौरान हादसा होने पर पुलिस उसे दबा देती है। इससे इस प्रकार की हादसे सामने नहीं आ पाते है। जयपुर में दांतली-सिरोली, हरमाडा, हरडी, बस्सी , चाकसू और अन्य स्थानों पर पहाडियों में खनन किया जा रहा है। जबकि अरावली श्रृखला में आने वाली इन पहाडि़यों में खनन पर एनजीटी ने रोक लगा रखी है। स्थानीय लोग कई बार अवैध खनन की शिकायत कर चुके है। लेकिन पुलिस व खनन विभाग कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे है। पुलिस व खनन विभाग पर लगातार मिलीभगत के आरोप लग रहे है। पूर्व में झालाना की पहाडि़यों में भी अवैध खनन होता था लेकिन इसे पूरी तरह से बंद कर दिया गया। यह जरूर है कि यहां पर फिर भी लोग चोरी छुपे खानों में जमा पत्थर व अन्य सामान भरकर ले जाते है और उन्हें ऊंचे दामों पर बाजार में बेच देते है।
जयपुर शहर के आस-पास पहाडि़यों पर जमकर अवैध खनन हो रहा है। पुलिस व खनन विभागकार्रवाई के नाम पर खाना पूर्ति होती है। यहीं नहीं खनन के दौरान हादसा होने पर पुलिस उसे दबा देती है। इससे इस प्रकार की हादसे सामने नहीं आ पाते है। जयपुर में दांतली-सिरोली, हरमाडा, हरडी, बस्सी , चाकसू और अन्य स्थानों पर पहाडियों में खनन किया जा रहा है। जबकि अरावली श्रृखला में आने वाली इन पहाडि़यों में खनन पर एनजीटी ने रोक लगा रखी है। स्थानीय लोग कई बार अवैध खनन की शिकायत कर चुके है। लेकिन पुलिस व खनन विभाग कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे है। पुलिस व खनन विभाग पर लगातार मिलीभगत के आरोप लग रहे है। पूर्व में झालाना की पहाडि़यों में भी अवैध खनन होता था लेकिन इसे पूरी तरह से बंद कर दिया गया। यह जरूर है कि यहां पर फिर भी लोग चोरी छुपे खानों में जमा पत्थर व अन्य सामान भरकर ले जाते है और उन्हें ऊंचे दामों पर बाजार में बेच देते है।
विशेष बात यह है कि जयपुर शहर के आस-पास की पहाडि़यों में खनन के लिए पूर्व में कुछ पट्टे जारी किए गए थे लेकिन इस पट्टों के दम पर खनन माफिया पूरी पहाडी ही खोद डाल रहे है। इस तरह से मामले दांतली-सिरोडी, हरडी-कुथाडा, बस्सी में पिलिया-कचौलिया सहित अन्य स्थानों पर देखने में सामने आया है। अवैध खनन में विस्फोटक सामान का भी धडल्ले से उपयोग किया जा रहा है।
अरावली पर्वत श्रृंखला के 38 पहाड़ गायब
अरावली रेंज में करीब 128 पहाडियां हुआ करती थी लेकिन इनमें से 38 पहाड़ गायब हो चुके है। जब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा तो राजस्थान सरकार से सवाल पूछे गए। जब सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार को फटकार लगाई तो उन्होंने ये तो माना कि करीब 115 हेक्टेयर की जमीन पर अवैध खनन चल रहा है । राजस्थान सरकार को खनन के सालाना 5000 करोड़ रुपए की रॉयल्टी मिलती है । पहाडियों के गायब होने को लेकर सरकार के पास जबाव नहीं था । सरकार सब जानकारी लेकिन वह यह सब कोर्ट में बता नहीं पा रही है। ऐसा कैसे मुमकिन है कि सरकार की नाक के नीचे से सैकड़ों एकड़ में फैले पहाड़ गायब हो जाएं और अधिकारियों को पता ही ना चले? हां वो बात अलग है कि अगर इन पहाड़ों का सफाया होने से सरकार या फिर अधिकारियों को लाभ मिल रहा हो। इस जानकारी के सामने आने के बाद फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट पर भी सवाल उठाने लगे।