जानकारी के मुताबिक प्रदेश में पहले चरण में सम्मिलित जिलों में 21 सितंबर से 4 नवंबर तक एनएसीपी एफएमटी वैक्सीनेशन ड्राइव होना था। पहले चरण में उदयपुर, भीलवाड़ा, प्रतापगढ़,चित्तौडगढ़़, सवाई माधोपुर, भरतपुर, धौलपुर,बूंदी, बारां, झालावाड़, कोटा, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, जालौर, सिरोही में अभियान शुरू किया जाना था लेकिन अभियान शुरू होने से ठीक तीन दिन पहले ही टीके अमानक निकलने के कारण अभियान पर रोक लगानी पड़ी थी।
प्रथम फेज के 15 जिलों में स्थगित अभियान को प्रारंभ करने के लिए अब अतिरिक्त निदेशक डॉ. भवानी सिंह ने केंद्र सरकार को पत्र लिखा है। साथ ही सरकार का पत्र दिनांक 13.11.20 तथा निदेशालय स्तर से जारी पूर्व पत्रांक 5053.5107 दिनांक 28.10.2020 का प्रसंग देते हुए एनएडीसीपी के तहत गौ एंव भैंस वंश पशुओं के टेगिंग तथा इनाफ रजिस्ट्रेशन करने के संबंध में प्रथम फेज के 15 जिलों में टीकाकरण अभियान प्रारंभ करने के आदेश जारी कर दिए हैं। प्रथम फेज में सम्मिलित जिलों में एफ एमडी वैक्सीन प्रतिस्थापन का कार्य संबंधित आपूर्तिकर्ता फर्म द्वारा सम्पादित किया जा रहा है। 31 दिसंबर तक आपूर्ति कर दी जाएगी। इसके बाद वैक्सीन को जिलों में सप्लाई कर 7 दिसंबर से अभियान शुरू किया जाएगा।
सुपरस्प्रेडर भी बन सकते हैं चिकित्साकर्मी
राजस्थान पशु चिकित्सा कर्मचारी संघ ने पशु पालन विभाग के प्रमुख शासन सचिव को पत्र लिखकर सम्पूर्ण अभियान को ही स्थगित किए जाने की मांग की है। संघ के प्रदेशाध्यक्ष अजय सैनी ने कहा कि टीकाकरण के दौरान पशुपालकों और पशु चिकित्साकर्मियों के मध्य निकट सम्पर्क रहता है। टीकाकर्म कई परिवारों के सम्पर्क में आता है, ऐसे में वह कोविड फैलाने वाला सुपर स्प्रेडर भी बन सकता है। वहीं विभाग संक्रमण से बचाव के संसाधनों के बिना दल को फील्ड में भेज रहा है। सरकार ने प्रदेश में धारा 144 लगा दी है। कई जिलों में नाइट कफ्र्यू लगा हुआ है। इससे पशुपालकों में डर का माहौल है, वह टीकाकरण दल को अपने परिसर में आने की स्वीकृति भी नहीं देंगे। ऐसे में विभाग को चाहिए कि कोविड के समाप्त होने तक सम्पूर्ण टीकाकरण अभियान को स्थगित करें। शेष 15 जिलों में भी अभी अभियान शुरू नहीं किया जाना चाहिए।
प्रथम फेज के 15 जिलों में राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम अमानक गुणवत्ता के टीकों के कारण स्थगित हो गया था। हम 7 दिसंबर से इसे शुरू करने का प्रयास कर रहे हैं। इस संबंध में केंद्र सरकार को भी पत्र लिखा गया है। अभियान को स्थगित करना संभव नहीं है।
डॉ. वीरेंद्र सिंह, निदेशक,
पशुपालन विभाग।