scriptराजस्थान को जोरदार झटका दे रहा ड्रैगन, खतरे में हजारों लोगों का रोजगार | Impact of Chinese Goods on Rajasthan Employment | Patrika News

राजस्थान को जोरदार झटका दे रहा ड्रैगन, खतरे में हजारों लोगों का रोजगार

locationजयपुरPublished: Sep 16, 2018 10:54:40 am

Submitted by:

santosh

www.patrika.com/rajasthan-news/

dragon
जयपुर। चीनी वस्तुओं के आयात ने राज्य के लघु उद्योगों को हाशिये पर खड़ा कर दिया है। पिछले 7 साल में राज्य के प्लास्टिक, गारमेंट, प्रिंटिंग, मूर्ति, राखी, लाइटिंग, मैटल, ज्वैलरी से जुड़ी हजारों लघु उद्योग इकाइयां लगभग बंद हो चुकी हैं। कम कीमत और आसान आयात के कारण यहां की घरेलू इंडस्ट्री चीनी वस्तुओं से प्रतिस्पर्धा करने में असफल रही हैं। हालांकि सुरक्षा की दृष्टि से सरकार ने चीनी पटाखे और मांझे पर बैन लगा दिया था। इससे इन पारम्परिक उद्योगों को राहत मिली, इसके बावजूद राज्य का लघु उद्योग खत्म होने के कगार पर है।
हैंडमेड उद्योग पर ड्रेगन का साया:
राज्य का हैंडमेड उद्योग भी चीनी उत्पादों की मार से आहत है। चीनी हैंडीक्राफ्ट, ब्रास मैटल और घरेलू उपयोग की वस्तुओं का भी भारी आयात हो रहा है। इससे राज्य के ग्रामीण-पारम्परिक उद्योग भी खत्म हो रहे हैं। राखी और मूर्ति उद्योग के दबदबे को भी चीन चुनौती दे रहा है। चीन से सस्ती राखियां व मूर्तियां धड़ल्ले से आयात हो रही हैं।
Impact of Chinese goods on rajasthan employment
राज्य में चीनी वस्तुओं का आयात (2017-18)
इलेक्ट्रिक आइटम————————400 करोड़
मशीनरी एंड पार्ट्स———————350 करोड़
गारमेंट——————————————275 करोड़
प्लास्टिक————————————225 करोड़
कैमिकल्स———————————175 करोड़
अन्य——————————————150 करोड़

प्रिंटिग उद्योग को ज्यादा नुकसान
सर्वाधिक नुकसान प्रिंटिंग उद्योग को हुआ है, जिसकी लगभग सभी यूनिटें बंद हो चुकी हैं। राज्य से बड़ी संख्या में झंडे, गारमेंट, प्लास्टिक उत्पादों पर प्रिंटिंग के आर्डर चीन को जा रहे हैं। दशकभर पहले राज्य में प्रिंटिंग की 300 से ज्यादा इकाइयां थीं, जो अब 60-70 ही रह गई है। इस उद्योग से जुड़े जानकारों का कहना है कि चीन दुनियाभर में कैमिकल सस्ता भेज रहा है, जो कलर इंडस्ट्री के लिए घातक है।
इससे प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल हो गया है।
मुनाफे ने बदला गणित
राज्य के कारोबारी मोटे मुनाफे के कारण चीनी माल बेचने को तरजीह दे रहे हैं। इससे घरेलू उद्योग को नुकसान हो रहा है। घरेलू उत्पाद टिकाऊ होने के बावजूद चीनी वस्तुओं से टक्कर नहीं ले पा रहे। चीनी वस्तुओं ने ट्रेडर्स का मुनाफा भले ही बढ़ा दिया हो लेकिन उद्योगों को नुकसान हुआ है, हजारों लोग बेरोजगार हुए हैं।
एक्सपर्ट व्यू : उत्पाद नहीं, तकनीक लाएं
घरेलू उद्योगों को चीनी से टक्कर लेनी है तो विदेशों से तकनीक का आयात करना चाहिए, माल का नहीं। एेसा हमने पूर्व में किया भी है। हमने चीन से टाइल्स बनाने की तकनीक सीखकर दुनियाभर में टाइल्स उद्योग में दबदबा कायम किया है। राजस्थान में विश्व विख्यात काजारिया टाइल्स जैसी यूनिटें लगाई गई हैं। इसी तरह इटली और चीन से गारमेंट की नई तकनीक सीखी जाए तो हम भी विश्व में गारमेंट उद्योग में अपन धाक जमा सकते हैं। जैसे सूरत के सिंथेटिक कपड़े ने चीन से तकनीक हासिल कर दुनिया में अपनी अलग जगह बनाई है।
– दिनेश सिंह शेखावत, आयात-निर्यात के विशेषज्ञ
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो