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ग्लोबल वार्मिंग का राजस्थान में असर, दो डिग्री तक बढ़ जाएगा तापमान, ये होंगे प्रभावित

locationजयपुरPublished: Mar 02, 2020 04:18:41 pm

Submitted by:

Kamlesh Sharma

ग्लोबल वार्मिंग (भूमंडलीय ऊष्मीकरण) का सबसे ज्यादा असर देश में हिमालय के बाद राजस्थान पर पड़ रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार हिमालय की तरह ही राजस्थान के कई इलाके पारिस्थितिक संवेदनशील क्षेत्र में आते हैं।

ग्लोबल वार्मिंग का राजस्थान में असर, दो डिग्री तक बढ़ जाएगा तापमान, ये होंगे प्रभावित
जयपुर। ग्लोबल वार्मिंग (भूमंडलीय ऊष्मीकरण) का सबसे ज्यादा असर देश में हिमालय के बाद राजस्थान पर पड़ रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार हिमालय की तरह ही राजस्थान के कई इलाके पारिस्थितिक संवेदनशील क्षेत्र में आते हैं। जिसकी वजह से यहां तापमान बढ़ने का यह ट्रेंड दिखाई दे रहा है। इस भूमंडलीय ऊष्मीकरण का असर यह है कि पिछले 50 साल में सामान्य तापमान डेढ़ डिग्री तक बढ़ चुका है और आने वाले लगभग बीस साल में यह एक डिग्री तक बढ़ जाएगा। ये नतीजे मालवीय राष्ट्रीय प्रोद्यौगिक की संस्थान (एमएनआइटी) के शोध में सामने आए हैं। शोधर्थियों के मुताबिक, पिछले 50—70 साल के आंकड़ों के ट्रेंड से ये नतीजे निकाले गए हैं। राजस्थान के बाद नॉर्थ—ईस्ट और सेंट्रल इंडिया को ग्लोबल वार्मिंग ने प्रभावित किया है। जबकि सबसे कम प्रभाव समुद्री तटीय क्षेत्रों में देखने को मिला है। शोध को ‘थ्योरिटिकल एंड अप्लाइड क्लाइमेटोलॉजी’ के अंतर्राष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित किया गया है।
राजस्थान में ये होंगे प्रभावित
राजस्थान में सबसे ज्यादा प्रभावित उदयपुर और अजमेर संभाग है। यहां वर्ष 1950—70 के बीच सालभर का औसत तापमान 26.2 डिग्री था, वहीं यह 2000—2000 के बीच 27.5 डिग्री तक बढ़ चुका है। जबकि 2035 से 2038 के बीच यहां सामान्य तापमान 28.2 डिग्री हो जाएगा। वहीं, जोधपुर, बीकानेर संभाग में तो 1950—70 के बीच यहां सालभर का सामान्य तापमान 25.66 डिग्री था, जो वर्ष 2000—2000 के बीच 26.25 डिग्री तक पहुंच गया है। यहां 2038 से 2041 के बीच 27.66 डिग्री तापमान होने के अनुमान है। भरतपुर संभाग में सबसे बाद में यह असर देखने को मिलेगा। यहां 1950—70 के बीच 24.8 डिग्री सामान्य तापमान था, जो 2000 से 2020 के बीच 25.25 डिग्री हो गया। यहां 2044—48 के बीच सामान्य तापमान 26.8 डिग्री हो जाएगा। जबकि उत्तर—पश्चिम हिमालय क्षेत्र में यह बदलाव 2022 से 2050 के बीच ही दिखने लग जाएगा। यहां दो डिग्री तापमान 2037 से 2050 के बीच प्रभावी होगा।
ये हो सकता है उपाय
शोध को सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्राफेसर महेन्द्र चौधरी के निर्देशन में पूरा किया गया है। विभाग के शोधार्थी दीपक कुमार प्रजापति ने 2015 से 2019 तक यह शोध किया है। शोधार्थी के अनुसार, सामान्य तापमान बढ़ने का असर यह है कि रोजाना का अधिकतम तापमान हमें ज्यादा लगने लगा है। कई बार दिन में अधिक गर्मी और रात में ज्यादा ठंड इस बार का संकेत है। इसका एक कारण ग्रीन हाउस गैस, कार्बन डाई ऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड, मीथेन आदि का अधिक उत्सर्जन है। हालांकि इसे रोकना तो संभव नहीं है, लेकिन इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है। शहर के चारों ओर पौधे, वनस्पति आदि लगाकर इसे कम कर सकते है। साथ ही तालाब, झालों को सहेजने की जरूरत है। वहीं, यदि हम इलेक्ट्रिक व्हीकल खरीदना और एनर्जी एफिशियेंट आधारित बिल्डिंग बनाना शुरु कर दें काफी हद तक काबू पाया जा सकता है।
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