कथा : द्वापर युग में श्रीकृष्ण ने देवराज इंद्र की पूजा करने की बजाए लोगों को गोवर्धन पर्वत की पूजा के लिए प्रेरित किया। इससे इंद्र गुस्सा हो गए और उन्होंने वृंदावन क्षेत्र में भयंकर बारिश करा दी जिससे बर्बादी होने लगी। तब श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाकर बाढ से लोगों की रक्षा की। तभी से यह पर्व मनाने की परंपरा शुरू हुई।
मुहूर्त -ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई बताते हैं कि इस बार 15 नवंबर को गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन उदया तिथि अमावस्या सुबह 10 बजकर 36 मिनट तक रहेगी। इसके बाद प्रतिपदा तिथि प्रारंभ हो जाएगी। आज अपरान्ह 03.19 बजे से शाम 05 .27 मिनट तक गोवर्धन पूजा का मुहूर्त रहेगा।