ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई के अनुसार छठ पूजा दरअसल सूर्य पूजा का ही पर्व है। चार दिवसीय उत्सव में मुख्य पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को करते हैं। इस दिन सूर्य को सांध्य अर्घ्य दिया जाता है यानि ढलते हुए सूर्य की पूजा कर उन्हें जल अर्पित किया जाता है। इसके बाद कार्तिक शुक्ल सप्तमी को सूर्योदय के समय यानि उषा अर्घ्य दिया जाता है।
सूर्यदेव को अर्घ्य देना तथा सूर्य पूजा ज्योतिषीय नजरिए से बहुत लाभदायक रहती है। सूर्य को प्रत्यक्ष देवता कहा गया है जोकि आत्मा के भी कारक हैं। सूर्य नवग्रहों के राजा हैं, सभी राजकीय कार्य उनके अधीन हैं। राजनीति में कैरियर बनाने या सरकारी नौकरी की चाह रखनेवालों को सूर्य देव को अर्घ्य जरूर देना चाहिए।
ज्योतिषाचार्य पंडित नरेंद्र नागर बताते हैं कि सूर्य पूजा से आत्मविश्वास जागता है, उत्तम संतान का सुख मिलता है। संतान सम्बन्धी सभी समस्याएं दूर होती हैं। मान—सम्मान—यश बढ़ता है। पिता पुत्र के बेहतर सम्बन्ध बनते हैं। इतना ही नहीं हृदय रोग, अस्थि रोग में सूर्य पूजा से अद्भुत लाभ होता है। कोई बेवजह बदनाम हो रहा हो तो सूर्य पूजा से लाभ मिलता है।