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राजस्थान उच्च न्यायालय के महत्वपूर्ण आदेश

locationजयपुरPublished: Jun 04, 2020 09:33:47 pm

Submitted by:

KAMLESH AGARWAL

आदेश की पालना नहीं करने पर निदेशक चिकित्सा विभाग तलब

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High court bench will determine interim fees

जयपुर।

सोनोग्राफी कोर्स में प्रवेश होने के बावजूद एपीओ डॉक्टर को रिलीव करने के आदेश की पालना नहीं करने पर राजस्थान उच्च न्यायालय ने नाराजगी जाहिर की। न्यायालय ने आदेश की पालना में डॉक्टर को रिलीव नहीं करने पर निदेशक चिकित्सा व स्वास्थ्य विभाग को 8 जून को व्यक्तिगत तौर पर हाजिर होने के निर्देश दिए हैं। डॉ.शिंटू कुमावत ने अवमानना याचिका दायर कर कहा कि वह नाथद्वारा में मेडिकल आॅफिसर के पद पर तैनात था। सरकार ने उसका तबादला अन्यत्र कर दिया था,लेकिन उसने नए स्थान पर पदभार ग्रहण नहीं किया तो विभाग ने उसे पदस्थापन की प्रतीक्षा में रखते हुए निदेशक चिकित्सा व स्वास्थ्य के अधीन जयपुर में रख दिया था। इसी दौरान उसका एसपी मेडिकल कॉलेज उदयपुर में सोनोग्राफी कोर्स में प्रवेश हो गया,लेकिन विभाग ने उसे रिलीव नहीं किया। उच्च न्यायालय ने 4 मार्च,2020 को कोर्स में प्रवेश लेने के लिए रिलीव करने के अंतरिम आदेश दिए,लेकिन विभाग ने इस आदेश की भी पालना नहीं की है।
नर्सिंगकर्मियों का 17 महीने का वेतन बकाया, दो साल से लगा रहे चक्कर

नर्स ग्रेड-द्वितीय पर कार्यरत टोंक जिले के आठ नर्सिंगकर्मियोंं का 17 महीने का वेतन बताया है। लगातार तीन दो साल तक प्रतिवेदन देने के बाद भी वेतन नहीं मिलने पर नर्सिंगकर्मियों ने राजस्थान उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है। जिस पर न्यायालय ने प्रमुख चिकित्सा सचिव, चिकित्सा निदेशक व अतिरिक्त चिकित्सा निदेशक-प्रशासन से एक सप्ताह में जवाब मांगा है। रामचरण शर्मा सहित आठ नर्सिंगकर्मियों ने राजस्थान उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है जिसमें कहा है कि उनकी नियुक्ति नर्स भर्ती: 2015 के जरिए हुई थी। वे जिले में अपना कार्य सही तरीके से कर रहे हैं। लेकिन चिकित्सा विभाग ने जनवरी 2017 से 30 जून 2018 तक वेतन नहीं दिया। उनको कहा गया कि विभाग को इस अवधि का बजट नहीं मिला है। नर्सिंगकर्मियों ने बकाया वेतन के भुगतान के लिए चिकित्सा विभाग को प्रतिवेदन दिया। लेकिन फिर भी उन्हें बकाया वेतन नहीं दिया। विभाग ने कहा कि बकाया वेतन भुगतान करने के लिए अतिरिक्त बजट की आवश्यकता है जो कि विभाग के पास नहीं है। इस पर नर्सिंगकर्मियों ने राजस्थान उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। नर्सिंगकर्मियों के अधिवक्ता श्योजीराम शर्मा ने कहा कि वेतन रोकना मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन है।इसकी वजह से कर्मचारियों को आर्थिक परेशानी भी हो रही है। जिस पर न्यायाधीश गोवर्धन बाढ़दार ने याचिका की प्रति सरकारी अधिवक्ता को दिलवाते हुए 12 जून तक जवाब देने के आदेश दिए।

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