scriptJkk: …जब गूंजी रूमानी गजलें तो संगीत प्रेमी बोल उठे भई वाह! | in jkk singer Neha Charan's performance is admired by music lovers | Patrika News

Jkk: …जब गूंजी रूमानी गजलें तो संगीत प्रेमी बोल उठे भई वाह!

locationजयपुरPublished: Dec 06, 2019 12:23:30 pm

Submitted by:

SAVITA VYAS

जेकेके में सजी गजलों की महफिल‘शाम-ए-गजल’ में गूंजे सूफी कलाम और रूमानी गजलेंगायिका नेहा चारण ने गजलों से जीता दिल

singer neha charan

Jkk: …जब गूंजी रूमानी गजलें तो संगीत प्रेमी बोल उठे भई वाह!

जयपुर। जवाहर कला केन्द्र के रंगायन में जैसे ही सूफी नगमों की महफिल सजी, वैसे ही कद्रदानों की दीवानगी परवान चढ़ने लगी। ‘शाम-ए-गज़ल’ में उदयपुर की युवा गायिका नेहा चारण ने रेशमी आवाज़ में सधे सुरों से समां बांध दिया। नेहा ने एक से बढकर एक पंजाबी एवं उर्दू के सूफी कलाम एवं रूमानी गज़लें पेश कर गुलाबी नगरी के गज़ल प्रेमियों की शाम खास बना दी। कार्यक्रम के दौरान फनकार ने अमीर खुसरो, निदा फाजली, गुलाम अली, बेगम नूरजहां, फरीदा खानम, हंस राज हंस, सज्जाद अली आदि की मशहूर गजलों, कलामों और नगमों को पेश किया।
नेहा ने बेहद ही सधे हुए सुरों में प्रसिद्ध गजलें पेश कर समां बांधा। उन्होंने ‘तस्वीर बना के मैं तेरी जीवन दा बहाना लबया ये’ (सज्जाद अली), ‘आज जाने की जिद ना करो’ (फरीदा खानम) और ‘मेरे शौक दा नहीं एतबार तेनु’ (गुलाम अली) गजलें पेश कर श्रोताओं का दिल जीत लिया। गजलों के बीच-बीच में भी नेहा की गायकी पर दाद में रंगायन हॉल तालियों से गूंजता रहा। नेहा की गाई गजल ‘वो मेरे कौनसे आलम मेहरबां ना मिले’ एवं ‘जिन्हें देखने के लिए जा रहे हैं’ (हंस राज हंस) और ‘मेरे दिल दे शीशे विच संजना’ (बेगम नूरजहां) गज़लों को दर्शकों ने बेहद पसंद किया।
कार्यक्रम के आरम्भ में नेहा ने कहा कि जयपुर के गज़लप्रेमियों के समक्ष प्रस्तुति देते हुए वे बेहद प्रसन्न और उत्साहित हैं। गजल गायन उनके दिल के बेहद करीब है।

कार्यक्रम में संगत देने वाले कलाकारों में उस्ताद लियाकत अली खान (सारंगी), पंडित मनभावन डांगी (वायलिन), संदीप सोनी (बांसुरी), आशीष (कीबोर्ड), वाहिद खान (हारमोनियम), जुबेर खान (तबला), और जफर अली (ऑक्टोपेड) शामिल थे।
आपको बता दें गजलों के अतिरिक्त नेहा को राजस्थान लोकगीत, बॉलीवुड और वेस्टर्न म्यूजिक में भी महारत हासिल है। उन्होंने राजस्थान और मध्यप्रदेश में अनेक सरकारी और गैर सरकारी कार्यक्रमों मे शिरकत की है। नेहा 2007 से शास्त्रीय संगीत गायन विधा में साधनारत है। उन्होंने उदयपुर की मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय से संगीत में वर्ष 2014 में टॉप किया है। उन्होंने टीवी एवं रेडियो की कलाकार डॉ विजय लक्ष्मी दवे से संगीत की शिक्षा ग्रहण की है। वर्तमान में वे डॉ. सीमा राठौड के सान्निध्य में पीएचडी कर रही हैं। जल्द ही उनका एक म्यूजिक एलबम भी लॉन्च किया जाएगा।
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