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बदलावों के दौर से गुजर रही कांग्रेस राजस्‍थान में तोड़ सकती है यह परंपरा

locationजयपुरPublished: Sep 17, 2018 11:58:48 am

Submitted by:

dharmendra singh

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बदलावों के दौर से गुजर रही कांग्रेस में तोड़ेगी यह परंपरा

दावेदारों का फीडबैक लेने वाले पर्यवेक्षकों से कांग्रेस को परहेज

जयपुर।

बदलावों के दौर से गुजर रही कांग्रेस ने इस बार के विधानसभा चुनाव जीतने के लिए नई कवायद शुरू की है। ऐसा लगता है कि विधानसभा चुनाव में पर्यवेक्षकों की ओर से दावेदारों का फीडबैक लेकर रिपोर्ट सौंपने की चली आ रही परंपरा को इस बार तोड़ दिया जाएगा, क्‍योंकि एआईसीसी ने इस बार अभी तक जिला पर्यवेक्षकों की नियुक्तियां नहीं की हैं, जबकि विधानसभा चुनाव में महज तीन माह का ही समय बचा हुआ है।
चुनाव से 6 माह पहले नियुक्‍त हो जाते थे पर्यवेक्षक

पार्टी सूत्रों की माने तो बीते कई विधानसभा चुनाव से 6 माह पहले सभी जिलों में एआईसीसी की ओर से पर्यवेक्षक नियुक्त किए जाते थे, जो दावेदारों का फीडबैक लेने के साथ कार्यकर्ताओं से फीडबैक लेकर उसकी रिपोर्ट एआईसीसी को सौंपते थे। टिकट वितरण में पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट काफी मायने रखती थी।
ये भी एक वजह

पार्टी सूत्रों की माने तो एआईसीसी की ओर से इस बार जिला पर्यवेक्षकों की नियुक्ति नहीं करने के पीछे एक वजह ये है भी कि जो काम पर्यवेक्षकों को करना था, वही काम पार्टी के चारों सह प्रभारियों ने किया। चारों सह प्रभारियों विवेक बंसल, काजी निजाम, देवेंद्र यादव और तरुण कुमार ने अपने-अपने प्रभार वाले जिलों में हर विधानसभा क्षेत्र से तीन-तीन दावेदारों के नामों का पैनल बनाकर एआईसीसी और स्क्रीनिंग कमेटी को करीब एक माह पहले ही सौंप दिए हैं। इसके अलावा विभिन्न एजेंसियों द्वारा किए जा रहे ग्राउंड सर्वे की रिपोर्ट भी दिल्ली पहुंच चुकी है। ऐसे में प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया आखिरी चरण में हैं, जिसके चलते माना जा रहा कि पार्टी अब पर्यवेक्षकों को भेजने से परहेज की करेगी।
ब्लॉक-जिलाध्यक्षों ने भी भेजे नाम

वहीं पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी के पैराशूट उम्मीदवार को टिकट नहीं देने और दावेदारों का नाम निचली इकाई से आने के बयान के बाद जिला और ब्लॉक अध्यक्षों ने भी अपने स्तर पर दावेदारों के नामों का पैनल बनाकर एआईसीसी और स्क्रीनिंग कमेटी को भेजे हैं।

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