दर्ज मुकदमे के आधार पर मानसरोवर पुलिस ने बताया कि विधानसभा स्थित एसबीआइ्र बैंक के लाॅकर में जेवर रखे गए थे। इस लाॅकर को साल 2018 में आखिरी बार खोला गया था। कमला देवी के इस मामले में रिपोर्ट दर्ज कराने वाली उनकी बेटी अनुसूया ने पुलिस को बताया कि जिस समय आखिरी बार लाॅकर खोला गया था उस समय परिवार के लोग भी मां के साथ मौजूद थे। उसके बाद लाॅकर को फिर नहीं खोला गया। कोविड काल के दौरान तो आना जाना ही पूरी तरह से बंद था। लेकिन अभी इसी महीने की बारह तारीख को जेवर किसी कार्यक्रम में पहनने के लिए निकाले गए थे। लाॅकर को नियमानुसार खोला गया और जब जेवर घर लेकर आए तो लगा कि जेवर नकली से दिख रहे हैं। जब सुनार से इसकी जांच कराई गई तो पता चला कि जेवर पूरी तरह से नकली हैं। हूबहू असली जेवर की नकली काॅपी बनवाई गई। चोरी गए जेवरों की कीमत करीब तीस से चालीस लाख रुपए बताई जा रही है। फिलहाल मानसरोवर पुलिस मामले की जांच कर रही है।
पुलिस ने बताया कि कमला देवी कावेरी पथ पर रहती हैं। परिवार अलग रहता है लेकिन परिवार के लोग आते जाते रहते हैं। उनकी देखभाल के लिए मन्नालाल चैधरी नाम का एक केयर टेकर रखा गया है। वह मानसरोवर मान्यावास का रहने वाला है। कुछ समय पहले उसने रुपयों की ठगी की थी तो परिवार के लोगों ने उससे सख्ती भी की थी। लेकिन फिर वह फिर से कमला देवी की देखभाल करने लगा। परिवार के लोगों का मानना है कि किसी ने किसी तरीके से उसी ने इस ठगी और चोरी को अंजाम दिया है।
इस पूरे मामले में पुलिस के पास सबसे बड़ा सवाल है जिसका हल पुलिस को नहीं मिल रहा है। पुलिस अफसरों ने बताया कि मन्ना लाल चैधरी पर आरोप लगे हैं। कमला देवी का लाॅकर विधानसभा स्थित एसबीआई ब्रांच में बताया गया है। लाॅकर खोलने के लिए हर बार कमला देवी परिवार के ही किसी न किसी सदस्य के साथ गई हैं। ऐसे में लाॅकर से पहले तो गहने निकाले गए और उसके बाद हूबहू उसी तरह के नकली गहने बनवाए गए। इन गहनों को फिर से लाॅकर में रखा गया। इन सभी सवालों के जवाब फिलहाल पुलिस निकालने का प्रयास कर रही है।
कमला देवी भील के साथ करीब चार से पांच साल के दौरान जेवरों की चोरी और ठगी की यह दूसरी वारदात है। इससे पहले भी साल 2017 में कमला देवी के घर से ही चोरों ने करीब पचास लाख रुपए के जेवर चोरी कर लिए थे। इस बारे में रिपोर्ट भी दर्ज कराई गई थी।