ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एम्स), नई दिल्ली, एसोसिएशन फॉर इंडियन कोएलिशन फॉर द कंट्रोल ऑफ आयोडीन डिफिशिएंसी डिसऑर्डर (आईसीसीआइडीडी) और कांटार के सहयोग से किए गए सर्वेक्षण से पता चला है कि राष्ट्रीय स्तर पर 76त्न भारतीय घरों में पर्याप्त रूप से आयोडीन युक्त नमक उपयोग किया जाता है। जिसका अर्थ है आयोडीन के प्रति मिलियन (पीपीएम) 15 भागों से अधिक या बराबर नमक उपयोग किया जा रहा है। यह परिणाम भारत में यूनिवर्सल सॉल्ट आयोडाइजेशन की दिशा में हुई प्रगति को दर्शाता है, जिसमें पर्याप्त आयोडीन युक्त नमक के साथ 90त्न आबादी तक पहुंचने का लक्ष्य है। हालांकि, राजस्थान (65.5त्न) सहित कुछ राज्य; तमिलनाडु (61.9त्न), आंध्र प्रदेश (63.9त्न), ओडिशा (65.8त्न), झारखंड (68.8त्न) और पुदुचेरी (69.9त्न) में राष्ट्रीय औसत से कम कवरेज पाया गया।
मानव में मानसिक और शारीरिक विकास के लिए कम मात्रा में नियमित रूप से आवश्यक आयोडीन एक महत्वपूर्णसूक्ष्म पोषक है। आयोडीन की कमी के कारण विकलांगता सहित अन्य विकार हो सकते हैं। जैसे किगोइटर, हाइपोथायरायडिज्म, क्रेटिनिज्म, गर्भपात की आशंका, मानसिक मंदता और साइकोमोटर का भी दोष पाया जा सकता है। आयोडीन की कमी वाले क्षेत्रों में पैदा होने वाले बच्चों में 13.5 आईक्यू अंक तक कम हो सकता है।
इस समस्या को दूर करने के लिए आयोडीन के साथ खाना पकाने वाले नमक को डालना सबसे आसान और सबसे प्रभावी तरीका है। डब्ल्यूएचओ के दिशानिर्देशों के अनुसार, आयोडीन की कमी से होने वाले विकारों को रोकने के लिए 150यूजी के दैनिक आयोडीन सेवन की आवश्यकता होती है।
न्यूट्रिशन इंटरनेशनल के क्षेत्रीय निदेशक, एंड्रयू ओ कॉनेल ने बताया किग्लोबल अफेयर्स कनाडा व कनाडा सरकार के सहयोग से किए गए इस सर्वेक्षण को सभी 29 राज्यों और 7 केंद्र शासित प्रदेशों में किया गया और इसमें कुल 21,406 परिवार शामिल थे। 99त्न आयोडीन उपयोग वाले राज्यों में जम्मू और कश्मीर, मणिपुर, मिजोरम और नागालैंड राज्य शामिल थे। इसके अलावा, सर्वेक्षण से पता चला कि 36 में से 13 राज्यों ने पहले से ही यूनिवर्सल नमक आयोडीज़ेशन (यूएसआई) हासिल कर लिया है, जिसमें 90त्न से अधिक घरों में पर्याप्त आयोडीन युक्त नमक का उपयोग होता है।
मानव में मानसिक और शारीरिक विकास के लिए कम मात्रा में नियमित रूप से आवश्यक आयोडीन एक महत्वपूर्णसूक्ष्म पोषक है। आयोडीन की कमी के कारण विकलांगता सहित अन्य विकार हो सकते हैं। जैसे किगोइटर, हाइपोथायरायडिज्म, क्रेटिनिज्म, गर्भपात की आशंका, मानसिक मंदता और साइकोमोटर का भी दोष पाया जा सकता है। आयोडीन की कमी वाले क्षेत्रों में पैदा होने वाले बच्चों में 13.5 आईक्यू अंक तक कम हो सकता है।
इस समस्या को दूर करने के लिए आयोडीन के साथ खाना पकाने वाले नमक को डालना सबसे आसान और सबसे प्रभावी तरीका है। डब्ल्यूएचओ के दिशानिर्देशों के अनुसार, आयोडीन की कमी से होने वाले विकारों को रोकने के लिए 150यूजी के दैनिक आयोडीन सेवन की आवश्यकता होती है।
न्यूट्रिशन इंटरनेशनल के क्षेत्रीय निदेशक, एंड्रयू ओ कॉनेल ने बताया किग्लोबल अफेयर्स कनाडा व कनाडा सरकार के सहयोग से किए गए इस सर्वेक्षण को सभी 29 राज्यों और 7 केंद्र शासित प्रदेशों में किया गया और इसमें कुल 21,406 परिवार शामिल थे। 99त्न आयोडीन उपयोग वाले राज्यों में जम्मू और कश्मीर, मणिपुर, मिजोरम और नागालैंड राज्य शामिल थे। इसके अलावा, सर्वेक्षण से पता चला कि 36 में से 13 राज्यों ने पहले से ही यूनिवर्सल नमक आयोडीज़ेशन (यूएसआई) हासिल कर लिया है, जिसमें 90त्न से अधिक घरों में पर्याप्त आयोडीन युक्त नमक का उपयोग होता है।