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वर्तमान दौर में टिशू कल्चर तकनीक को प्रोत्साहित करना जरूरी: कुलपति

locationजयपुरPublished: Feb 23, 2021 05:28:22 pm

Submitted by:

Rakhi Hajela

एसकेआरएयू में सात दिवसीय प्रशिक्षण प्रारम्भ

वर्तमान दौर में टिशू कल्चर तकनीक को प्रोत्साहित करना जरूरी: कुलपति

वर्तमान दौर में टिशू कल्चर तकनीक को प्रोत्साहित करना जरूरी: कुलपति


बीकानेर स्थित स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के पादप प्रौद्योगिकी केन्द्र द्वारा राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना के तहत पादप उत्तक संवर्धन तकनीक का कृषि में उपयोग विषयक सात दिवसीय प्रशिक्षण मंगलवार को प्रारम्भ हुआ। प्रशिक्षण में एमएससी और पीचएडी के विद्यार्थी भागीदारी निभा रहे हैं।
उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि कुलपति प्रो.आरपी सिंह थे। उन्होंने कहा कि आज के दौर टिशू कल्चर को प्रोत्साहित किया जाना जरूरी है। यह कम खर्चीली, सरल तथा अधिक उत्पादन देने वाली तकनीक है। जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में पौधों में आनुवंशिक सुधार, उनके निष्पादन से सुधार आदि में टिशू कल्चर अहम भूमिका निभाता है। इस तकनीक के उपयोग से पर्यावरण प्रदूषण से जुड़ी समस्याओं के निराकरण में मदद मिल सकती है। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को इसका प्रशिक्षण देना अच्छी शुरुआत है। विद्यार्थी प्रशिक्षण में पूर्ण मनोयोग के साथ भागीदारी निभाएं और एन्टरप्रेन्योर के रूप में आगे आएं।
मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए आफरी, जोधपुर के पूर्व निदेशक डॉ. त्रिलोक सिंह राठौड़ ने कहा कि टिशू कल्चर का उपयोग गुलाब, डहेलिया,कार्नेशन, गुलदाउदी जैसे सजावटी पौधों के उत्पादन के लिए कर सकते हैं। केला, खजूर, किन्नू, मौसमी इत्यादि फलदार पौधों की खेती में भी टिशू कल्चर मुनाफे का सौदा है। इस तकनीक द्वारा रोग प्रतिरोधी, कीट रोधी तथा सूखा प्रतिरोधी किस्मों का उत्पादन किया जा सकता है।
कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ.आईपी सिंह ने विद्यार्थियों को टिशू कल्चर से जुड़ी कॅरियर निर्माण की संभावनाओं के बारे में बताया। अनुसंधान निदेशक डॉ. पीएस शेखावत ने टिशू कल्चर तकनीक की पद्धति की जानकारी दी। नाहेप के समन्वयक डॉ. एनके शर्मा ने राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना के बारे में बताया। पादप प्रौद्योगिकी केन्द्र के विभागाध्यक्ष डॉ. एके शर्मा ने प्रशिक्षण के दौरान आयोजित होने वाले विभिन्न सत्रों की जानकारी दी। डॉ. वीपी अग्रवाल ने आभार जताया। इस दौरान केन्द्रीय शुष्क बागवानी संस्थान के डॉ. धुरेन्द्र सिंह सहित अनेक जन मौजूद रहे।
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