scriptइस महामारी में तकनीकी के बूते दिव्यांग बना सकते हैं अपना कॅरियर | In the epidemic, due to technology,Divyang can make his career | Patrika News

इस महामारी में तकनीकी के बूते दिव्यांग बना सकते हैं अपना कॅरियर

locationजयपुरPublished: Sep 11, 2020 12:55:07 pm

कोरोना वायरस ( corona virus ) महामारी के चलते आए व्यवधानों का सामना पूरी दुनिया को करना पड़ रहा है औश्र आगे बढऩे में कई चुनौतियां शामिल हो गई हैं। शिक्षा और कौशल ( education and skills ) पर इसका सबसे अधिक असर पड़ा है, जिसकी अधिकांश ( Divyang ) कार्यक्षमताएं आमने-सामने आकर संपर्क करने से जुड़ी हुई थी। शिक्षा के क्षेत्र में पहले जहां माना जाता था कि स्पर्श करना महसूस करना है, वह अब ‘डिजिटलीकरणÓ के दौर में धीरे-धीरे दूरी में स्थानांतरित हो गया है।

इस महामारी में तकनीकी के बूते दिव्यांग बना सकते हैं अपना कॅरियर

इस महामारी में तकनीकी के बूते दिव्यांग बना सकते हैं अपना कॅरियर

जयपुर। कोरोना वायरस महामारी के चलते आए व्यवधानों का सामना पूरी दुनिया को करना पड़ रहा है औश्र आगे बढऩे में कई चुनौतियां शामिल हो गई हैं। शिक्षा और कौशल पर इसका सबसे अधिक असर पड़ा है, जिसकी अधिकांश कार्यक्षमताएं आमने-सामने आकर संपर्क करने से जुड़ी हुई थी। शिक्षा के क्षेत्र में पहले जहां माना जाता था कि स्पर्श करना महसूस करना है, वह अब ‘डिजिटलीकरणÓ के दौर में धीरे-धीरे दूरी में स्थानांतरित हो गया है। कॅरियर विकल्पों और अवसरों को अब ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से एकीकृत किया जाता है, ऐसे ही उदाहरण में वर्चुअल ट्रेनिंग और इंटर्नशिप है, जो दुनिया भर में अग्रणी कंपनियों द्वारा कार्यान्वित की जा रही है। हालांकि, जहां कई संस्थानों और संगठनों ने अपनी नियमित कामकाजों के लिए प्रौद्योगिकी को विकसित और एकीकृत किया है, हम दिव्यांगों के लिए इसे किस तरह की गुंजाइश के रूप में देख रहे हैं। हमें देखना होगा कि मुख्यधारा के कॅरियर के अवसरों के भीतर दिव्यांग लोग इस चुनौतीपूर्ण समय में कैसे खुद को अनुकूल बना या पा सकते हैं।
नारायण सेवा संस्थान के अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल ने कहा कि कोविड-19 के बाद जहां दिव्यांगों के लिए कला और थैरेपी के माध्यम से शिक्षा में बदलाव लाना तय किया गया है, तब से बहुत कुछ बदल गया है। नवंबर 2019 में, 1.2 करोड़ दिव्यांग बच्चों में से केवल एक फीसदी स्कूल जाते हैं, जबकि बात जब रोजगार की हो तो भारत के ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में 60.21 फीसदी रोजगार दर की तुलना में लगभग 63.66 फीसदी दिव्यांग बेरोजगार हैं।Ó एक बड़ा बदलाव यह है कि जहां पहले दिव्यांगों को खास स्तर की नौकरियों के लायक ही माना जाता था, ऐसे में कॅरियर के अवसर भी सीमित थे। हालांकि, समय के साथ प्रौद्योगिकी और कोविड-19 के चलते बड़े पैमाने पर बदलाव के बाद इनके लिए इनकी कार्यक्षमता के अनुसार नए अवसरों का पता लगाने की कोशिश शुरू हुई है।
1. एजुटेक एप्लीकेशंस: दिव्यांगों की ज्ञान सामग्री तक पहुंच बनाने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यूजर्स अनुकूल होने के लिए विकसित की गई एप्लीकेशंस के माध्यम से कंटेंट तक आसान पहुंच एजुकेशन का बड़ा स्रोत साबित हुई है। शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में संस्थान बैंडविड्थ कनेक्टिविटी का उपयोग कर सकते हैं और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और सामग्री के माध्यम से कौशल प्रशिक्षण प्रदान कर सकते हैं जिन्हें आसानी से वीडियो, ऑनलाइन व्याख्यान और विभिन्न एप्लीकेशंस के माध्यम से वितरित किया जा सकता है।
2. ई-लाइब्रेरी: अधिकांश सामग्री जो ऑनलाइन पाठ्यक्रम उपलब्ध है, जो उद्योग मानकों के अनुसार अप-टू-डेट है। उस तक ई-लाइब्रेरी और भाषण तकनीक में अतिरिक्त जुड़ाव के साथ उन तक पहुंच दिव्यांग छात्रों को कहीं से भी उनके पाठ्यक्रम तक पहुंचने में मदद कर सकती है।
3. टीचर्स कंसोर्टियम: हम जानते हैं कि छात्र सवाल उठाने और उनके हल पाने के लिए विभिन्न प्लेटफार्म और फोरम बनाते हैं, इसी तरह उद्योग के अनुभवी पेशेवरों को भी अपने अनुभवों को साझा करने और सिखाने के लिए किसी प्लेटफार्म पर एक साथ मिलना चाहिए। ई-लर्निंग में प्लेटफार्म के माध्यम से जहां छात्रों को उद्योग आधारित ज्ञान के साथ सहायता प्रदान की जा सकती है वहीं विभिन्न कंपनियों को ऐसे कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए वरिष्ठ पेशेवरों को भी प्रोत्साहित करना चाहिए।
4. ई-लर्निंग प्लेटफार्मों के माध्यम से खुले पाठ्यक्रम की पेशकश करने वाले मुक्त विश्वविद्यालय: कोविड-19 ने शिक्षा प्रणाली और इसके बुनियादी ढांचे के लिए एक चुनौती पेश की है, कई छात्रों ने लॉकडाउन की अवधि के दौरान प्रौद्योगिकियों और उत्पादों का नवाचार करके अपनी क्षमताओं को साबित किया है। ओपन यूनिवर्सिटी, जो कॅरियर चुनने या छात्रों की पसंद का पाठ्यक्रम बनाने की स्वतंत्रता प्रदान करते हैं, उन्हें प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
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