अस्पताल प्रशासन की ओर से जारी हुए एक आदेश में रेजीडेंट् डॉक्टर्स की कार्यप्रणाली को लेकर सवाल उठाते हुए लिखा गया है कि रेजीडेंट् मरीजों के प्रति संवेदनशीलता और सहानुभूति नहीं रखते है। जिसको लेकर रेजिडेंट्स ने विरोध जताते हुए कहा है कि हम लगातर 24 घंटे काम करते है लेकिन फिर हमें आदेश में अंसवेदनशील बताना गलत है।
जार्ड के अध्यक्ष डॉ.अमित यादव ने कहा कि जो जिम्मेदार लोग है उन पर अस्पताल में फैली अव्यवस्थाओं को लेकर कार्रवाई होनी चाहिए। अगर किसी वार्ड में या भर्ती मरीज को दवा नहीं मिलती है तो उसके लिए रेजीडेंट डॉक्टर कैसे जिम्मेदार हो सकता है। जार्ड के अध्यक्ष ने कहा कि अगर दवा उपलब्ध नहीं है तो इसके लिए दवाइयों की सप्लाई चैन में शामिल लोगों को इसके लिए जिम्मेदार माना जाए।
वहीं अरिस्दा के अध्यक्ष डॉ.अजय चौधरी ने कहा कि है जिन रेजिडेंट्स् के कारण अस्पताल में व्यवस्थाएं बनी हुई है,इस तरह की भाषा से वह भी समाप्त हो जाएगी। आपको बता दे कि गुरुवार की रात को सीएम अशोक गहलोत ने एसएमएस के ट्रॉमा सेंटर में मरीजों के परिजनों से समस्याओं के बारे में पूछा था। जहां अस्पताल में अव्यवस्थाएं होने और दवा व जांच का लाभ नहीं मिलने की शिकायत मिली थी। इसके बाद अस्पताल प्रशासन ने व्यवस्थाओं में सुधार को लेकर आदेश जारी किए थे। उन आदेशों में एक पॉइंट में रेजिडेंट्स के को भी दिशा निर्देश दिए गए है।
कहीं गफलत तो नहीं आदेश
सीएम डॉक्टर्स के परिजनों से जब मिले तो उन्हें डॉक्टर्स के व्यवहार को लेकर भी शिकायत मिली थी। ऐसे में शायद आदेश में व्यवहार सुधारने की नसीहत अस्पताल प्रशासन की ओर से दी जानी थी। लेकिन सिर्फ रेजिडेंट्स के लिए संवेदनशील नहीं होना जैसे शब्द का प्रयोग करने से यह सारा विरोधाभास उत्पन्न हुआ है। ऐसे में 19 अप्रेल को होने वाली अस्पताल प्रशासन की बैठक में इस आदेश को लेकर फिर स्पष्टकीरण आ सकता है! जिसमें सभी डॉक्टर्स को मरीजों व उनके परिजनों के प्रति व्यवहार सुधारने की नसीहत मिल सकती हैं।