वह रोजाना परमाणु रिएक्टर संचालन के लिए सुरक्षित तरीके से रिफ्यूलिंग करनाए नए फ्यूल बंडल डालना कूलेंट चैनल से पुराने फ्यूल बंडल निकाल कर उन्हें स्टोर करना और फ्यूलिंग मशीन का रखरखाव प्लान कर रिएक्टर प्रचालन संबंधित दस्तावेज बनाती हैं। फौजिया ने नाभिकीय प्रशिक्षण केंद्र में एक साल ट्रेनिंग पूरी की है।
वह कहती हैं कि परमाणु संयंत्रों में भी महिलाएं बेहतर कार्य कर सकती हैं। वह चाहती हैं कि वर्ष 2030 के परमाणु ऊर्जा का 20 हजार मेगावाट का लक्ष्य हासिल करने में महिला अधिकारियों की महत्त्वपूर्ण भूमिका रहे। इसके साथ ही आने वाले दिनों में और भी महिलाएं नाभिकीय ऊर्जा के क्षेत्र में आगे आएं।
गौरवशाली रहा अनुभव
फौजिया बताती हैं कि उनका सपना था कि वह परमाणु ऊर्जा विभाग परिवार का हिस्सा बनें और कुछ अलग कार्य करें। वह कहती हैं कि वर्ष 2008 में उनके दोनों ही सपने पूरे हो गए। प्रशिक्षण के बाद हैंडलिंग यूनिट की जिम्मेदारी मिलीए जो उनके लिए बहुत बड़ी चुनौती थीए लेकिन उन्होंने अपने कार्य को बखूबी पूरा किया। फौजिया कहती हैं, जब उन्होंने जॉइन किया थाए तब परमाणु बिजलीघर की इकाई 5 और 6 में कमीशनिंग कार्य चल रहा था। इकाई 5 का लगातार 765 दिन प्रचालन का रेकॉर्ड गौरवशाली अनुभव रहा। रावतभाटा परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में काम करना बहुत ही कठिन माना जाता हैए लेकिन अब महिलाएं भी इस क्षेत्र में अपना परचम लहरा रही हैं।