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15 अगस्त पर गांव के बच्चे खाएंगे लड्डू, शहर के बच्चों को मिलेगा बाबाजी का ठुल्लू!

locationजयपुरPublished: Aug 11, 2019 06:46:37 pm

स्कूलों में स्वतंत्रता दिवस समारोह ( Independence Day 2019 ), ग्रामीण इलाकों के सरकारी स्कूलों में स्वतंत्रता दिवस पर बच्चों के लिए लड्डुओं का इंतजाम ग्राम पंचायत की ओर से, शहर में कोई बजट नहीं, स्कूलों में मिलने वाले लड्डुओं पर संशय

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15 अगस्त पर गांव के बच्चे खाएंगे लड्डू, शहर के बच्चों को मिलेगा बाबाजी का ठुल्लू!

जया गुप्ता / जयपुर। आज से कुछ वर्ष पहले तक बच्चों में स्वतंत्रता दिवस ( Independence Day 2019 ) पर स्कूलों में होने वाले आयोजन को लेकर विशेष उत्साह रहता था। जिसका सबसे बड़ा कारण था समारोह के अंत में बंटने वाले लड्डू। समय के साथ-साथ बच्चों में उत्साह कम होने लगा है। अब बड़ों के तरह बच्चे भी राष्ट्रीय पर्व को केवल छुट्टी के एक दिन की तरह बिता रहे हैं। बच्चों की इस बेरुखी का कारण हैं स्कूलों में मिलने वाले लड्डुओं पर संशय। शहर के सरकारी स्कूलों में लड्डू मिलेंगे या नहीं। मिलेंगे तो उसका बजट कहां से आएगा, नगर निगम देगा या भामाशाह या स्कूल अपने स्तर पर ही इंतजाम करेगा। इन सवालों पर संशय बना हुआ है।

गांवों में ग्राम पंचायत स्तर से होता इंतजाम

ग्रामीण इलाकों के सरकारी स्कूलों में स्वतंत्रता दिवस पर होने पर आयोजनों में बच्चों के लिए लड्डुओं का इंतजाम अमूमन ग्राम पंचायत की ओर से किया जा रहा है। इस वर्ष पर अधिकांश ग्रामीण स्कूलों में पंचायत स्तर से ही मिठाई-फल भेजे जाएंगे। वहीं जिन क्षेत्रों में नगर परिषद् हैं, वहां भी नगर परिषद् की ओर से स्कूलों को मिठाई भेजी जाएगी। मगर जयपुर शहर के स्कूलों में बच्चों के लिए कहीं से भी मिठाई नहीं भेजी जाएगी। जयपुर शहर में स्थानीय निकाय की उच्च इकाई, नगर निगम हैं। निगम के स्तर पर स्कूलों में मिठाई का कोई इंतजाम नहीं किए जाते।

दानदाताओं को ढूंढ रहे स्कूल, कहीं जेब से बांटेंगे लड्डू
जयपुर शहर के सरकारी स्कूल ( government schools ) 15 अगस्त के समारोह के लिए महीने की शुरुआत से ही भामाशाह ढूंढने लग गए। कई स्कूलों ने भामाशाह ढूंढ लिए, जबकि कई स्कूलों में तलाश जारी है। स्कूलों के प्रधानाचार्यों के अनुसार जब भामाशाह नहीं मिलते तो वे अपनी जेब से पैसे खर्च कर मिठाई का इंतजाम कर रहे हैं। कुछ प्रिंसीपल्स ने बताया कि स्कूल में फंड इतना कम होता है कि उससे स्कूल के दैनिक खर्च ही बमुश्किल पूरे हो पाते हैं। उसमें से मिठाई का खर्च कर देंगे तो साल भर स्कूल के लिए चॉक-रजिस्टर जेब से लाना पड़ेगा।

बच्चों में रहता विशेष कौतूहल

स्वतंत्रता दिवस से सांस्कृतिक कार्यक्रमों से अधिक बच्चों का कौतूहल कार्यक्रम के अंत में मिलने वाली मिठाई में रहता है। इसी के चलते कई निजी स्कूलों ने ट्रेंड बदल दिया है। अब वहां पारम्परिक लड्ड़ू या नुकती नहीं बांटी जाती। बल्कि केला-सेब आदि फल दिए जा रहे हैं। कुछ स्कूल टॉफी-चॉकलेट या पैक्ड आइटम भी दे रहे हैं।

फैक्ट फाइल –
– 376 सरकारी स्कूल हैं शहर में।
– 90 हजार से एक लाख तक बच्चे नामांकित हैं इन स्कूलों में।
– करीब 5,000 रुपए हैं सरकारी सैकण्डरी स्तर के एक स्कूल में लड्डू का औसतन खर्च।

जेब से लाते हैं लड्डू
स्कूल के भामाशाहों से ही मदद के लिए निवेदन करते हैं। भामाशाह तैयार हो जाएं तो ठीक है, वरना शिक्षक अपनी जेब से लड्डू लेकर आते हैं।
– रामवतार कुमार, शिक्षक
नहीं है बजट का प्रावधान
गांवों में तो अक्सर पंचायत ही लड्डू भिजवाती है। शहरों में ऐसा नहीं होता। यहां स्कूल अपने स्तर पर ही इंतजाम करते हैं। शिक्षा विभाग की ओर से बजट का प्रावधान नहीं है।
– रामचंद्र पिलानिया, जिला शिक्षा अधिकारी (मुख्यालय) सैकण्डरी, जयपुर।
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