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राजस्थान के चुनावी दंगल में इस बार निर्दलीयों की भरमार बिगाड़ेगी खेल या करेगी बेड़ा पार

locationजयपुरPublished: Nov 21, 2018 02:26:42 pm

Submitted by:

santosh

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op hudla
जयपुर। प्रदेश के चुनावी दंगल में इस बार पिछले चुनाव के मुकाबले निर्दलीय उमीदवारों की संख्या 609 बढ़ गई है। 1993 के चुनाव के बाद पहली बार निर्दलीय प्रत्याशियों की संख्या इतनी अधिक बढ़ी है, पिछले चुनाव पर अन्ना हजारे का आंदोलन हावी होने के बावजूद निर्दलीयों की संख्या में कमी आई थी।
चुनाव से पहले से ही राजनीतिक दलों के प्रति मतदाताओं की नाराजगी दिख रही थी, जो बड़ी तादाद में निर्दलीय प्रत्याशी खड़े होने से स्पष्ट भी हो रही है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट के अनुसार इस बार अब तक निर्दलीय प्रत्याशियों की संख्या 1373 तक पहुंच गई है।
अकेले जयपुर जिले में 2008 व 2013 के चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशियों की संख्या 146 पर अटकी रही, लेकिन इस बार यह संख्या अब तक 225 है। हालांकि सही आंकड़ा नाम वापसी की तारीख के बाद ही सामने आएगा। इस चुनाव में केवल निर्दलीय प्रत्याशियों की संख्या ही अधिक नहीं है, बल्कि नए राजनीतिक दलों की संख्या भी बढ़ी है। कुछ नए दल तो विशिष्ट उद्देश्य के साथ सामने आए हैं, वहीं कुछ दल वादे पूरे करने का शपथ पत्र तक दे रहे हैं।
प्रत्याशी अधिक तो प्रतिनिधि भी ज्यादा
पिछले दो चुनावों में जब निर्दलीय प्रत्याशी अधिक हुए, तो जीतने वाले निर्दलीयों की संख्या अधिक रही। 2008 में निर्दलीय की संख्या 1025 थी और उनमें से 14 विधायक बने। 2013 में निर्दलीय घटकर 758 रही, तो इनमें से विधायक बनने वालों की संख्या भी 7 ही रह गई।
प्रतापगढ़ में निर्दलीय सबसे कम
इस बार के चुनाव में सबसे कम 4 निर्दलीय उमीदवार प्रतापगढ़ जिले में हैं और हो सकता है नाम वापसी पर यह संया इससे भी कम रह जाए। आदिवासी बहुल जिले डूंगरपुर में 10 व बारां में 11 निर्दलीय ही मैदान में हैं। सर्वाधिक जयपुर जिले में है।
सर्वाधिक विधायक पहले-दूसरे चुनाव में
पहले चुनाव में 190 विधायकों में से 39 निर्दलीय थे, जबकि 1957 में हुए दूसरे चुनाव में 176 में से निर्दलीय विधायकों की संया 32 रही। तीसरे चुनाव में इनकी संख्या 22 रह गई, लेकिन उसके बाद के चुनावों में यह आंकड़ा भी निर्दलीय कभी नहीं छू सके।

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