वेबिनार में नेशनल न्यूक्लिअर फैसिलिटीज सेफ्टी कमेटी के चेयरमैन, परमाणु वैज्ञानिक एवं पूर्व चेयरमैन हैवी वाटर बोर्ड रावतभाटा संयंत्र डॉ. ए. एन. वर्मा, वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एम. एल. परिहार ने भी संबोधित किया। संत, सेंट और फिर साइंटिस्ट
डॉ. डी.पी. शर्मा ने कहा कि हमें अधिकारों के बजाय हमारी राष्ट्र के प्रति कर्तव्य एवं जिम्मेदारी पहले रखनी चाहिए। मगर होता इसके उलट है। अधिकारों की बातों में कर्तव्य एवं जिम्मेदारी को भूल जाते है। हमारे ऋषिमुनि जिन्हें हम ‘संत’ कहते थे। यही शब्द पश्चिम के दूसरे धर्मों में ‘सेंट’ कहा जाने लगा। बाद में पश्चिम के ज्ञान खोजक ‘साइंटिस्ट’ कहलाने लगे। यानी हमारे संत सिर्फ धर्म के ज्ञाता एवं प्रचारक नहीं थे बल्कि वे वैज्ञानिक थे जिन्होंने वैज्ञानिक अवधारणाओं को खोजा। मगर लिखा और समझाया धर्म की अवधारणाओं से। जिससे कि सामान्य जन आसानी से समझ सकें।
जर्मन विद्वान मैक्स मूलर का उदाहरण देते हुए कहा कि विद्वान मूलर 19वीं शताब्दी में भारत के सभी ग्रंथों का 50 वॉल्यूम में अनुवाद करके यूरोप ले गया जिसका नाम है ‘द सैक्रेड बुक्स ऑफ द ईस्ट’ रखा। कालांतर में इन्हीं बुक्स के 50 वॉल्यूम को पढ़कर पश्चिम के लोग हमारी खोजों को पुनः खोज कर अपना नाम दे रहे हैं।
आनो भद्रा कृत्वो यन्तु विश्वतः डॉ. शर्मा ने ऋग्वेद के श्लोक से बताया कि हमें भारत को विश्व क्षितिज पर चमकता सितारा बनाने के लिए सभी दिशाओं से सद्विचारों को आमंत्रित करना ही होगा। एक नया मिशन मॉडल तैयार करना होगा। भारत देश पहले भी विश्व गुरु था। आज भी है और कल भी रहेगा। सिर्फ महसूस करने की और महसूस कराने की जरूरत है। हीरा कीचड़ में पड़ा हो या रेत में उसको उठाकर हाथ में लेकर स्वयं को महसूस करने की जरूरत है कि यह हीरा है।
प्रबुद्ध वर्ग पर राष्ट्र को काफी उम्मीदें डॉ. अमिताभ सराफ ने गायत्री परिवार के संस्थापक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्या के साहित्य का उदाहरण देकर वर्तमान समय की समस्याओं के बारे में बताया। कहा कि हर राष्ट्र तीन तरह की समस्याओं का सामना करता है। पहली, लोगों की व्यक्तिगत समस्याएं। दूसरी सामाजिक और तीसरी राष्ट्रीय स्तर पर होती है।
इस तरह समाज में तीन प्रकार के वर्ग भी होते है। एक है सर्व सामान्य, दूसरा ऐसे लोग जो सजग और सक्रिय रहते है। तीसरा प्रबुद्ध वर्ग। प्रबुद्ध वर्ग पर राष्ट्र को काफी उम्मीदें रहती है, क्योंकि यही वह वर्ग है जो समाधान को समस्याओं तक ले जाकर उनका निराकरण करने में सक्षम है। पर यह वर्ग हमेशा समय की कमी का हवाला देते हुए और समाज में उपहास के डर से निष्क्रिय बना रहता है। हमें पंडित शर्मा आचार्य के सुझाए गए सूत्रों को जीवन में उतार कर हम समस्याओं का उचित निराकरण कर सकते है।