scriptअच्छी नींद लेने में भारतीय सबसे आगे | Indian leads in getting good sleep | Patrika News

अच्छी नींद लेने में भारतीय सबसे आगे

locationजयपुरPublished: Aug 19, 2019 07:29:56 pm

Submitted by:

rajendra sharma

दुनिया में रात को अच्छी नींद ( Good Sleep ) लेने के मामले में भारतीय ( Indian )सबसे आगे हैं। इसके बाद सऊदी अरब ( Saudi Arab ) और चीन ( China ) का स्थान है। भारत में बहुत से लोग ( Many person ) सबसे अच्छी नींद लेते हैं। एक सर्वे ( Survey ) में इस बात का खुलासा हुआ है।

Good Sleep

अच्छी नींद लेने में भारतीय सबसे आगे

भारत में कितनी भी समस्याएं हों, लोग कितने भी परेशान हों, फिर भी भारतीय चैन की नींद लेने में दुनिया में सबसे आगे ( Leads ) हैं। दरअसल, यह खुलासा एक सर्वे से हुआ है।
फिलिप्स ( Philips ) की ओर से ग्लोबल मार्केट रिसर्च फर्म ( Globle Market ) केजेटी ग्रुप ( KJT Group ) ने 12 देशों ( Countries ) के 18 वर्ष और उससे ऊपर के 11,006 लोगों पर सर्वे किया। स्वस्थ रहने और हालचाल ठीक रखने में नींद एक महत्वपूर्ण फेक्टर है।
सर्वे में मोटे तौर पर पाया गया कि दुनिया भर के 62 प्रतिशत वयस्कों ने माना है कि रात को जब वे सोने जाते हैं तो उन्हें अच्छी नींद नहीं आती है। अनिद्रा की आदत को लेकर सबसे सबसे बुरी हालत दक्षिण कोरिया की और उसके बाद जापान की है। विश्व के वयस्क हफ्ते में रात के दौरान औसतन 6 से 8 घंटे की नींद लेते हैं। वहीं वे छुट्टी के दिन रात को 7 से 8 घंटे की नींद लेते हैं।

सप्ताहांत में ज्यादा सोते हैं वयस्क

सर्वे में पता चला है कि प्रत्येक दिन आठ घंटे की नींद पूरी करने के लिए 10 में से छह वयस्क (63 प्रतिशत) सप्ताहांत में अधिक सोते हैं। साथ ही, 10 में से चार लोगों का कहना है कि पिछले पांच सालों में उनकी नींद में गड़बड़ी आई है। हालांकि, 26 प्रतिशत लोगों ने कहा है कि उनकी नींद अच्छी हुई है, जबकि 31 प्रतिशत कहते हैं कि उनकी नींद लेने की आदतों में कोई बदलाव नहीं आया है। फिलिप्स ग्लोबल स्लीप सर्वे 2019 ( Philips Globle Sleep Survey ) के अनुसार कनाडा (63 प्रतिशत) और सिंगापुर (61 प्रतिशत) में लोगों को सबसे ज्यादा नींद से जुड़ी समस्याएं हैं।

जीवनशैली का असर

नींद को प्रभावित करने में जीवनशैली ( Life Style ) का भी बहुत बड़ा हाथ है। दुनिया में नींद को प्रभावित करने के पांच मुख्य कारण है। चिंता/तनाव (54 प्रतिशत), पर्यावरण (40 प्रतिशत), कार्य व स्कूल का शेड्यूल (37 प्रतिशत), मनोरंजन (36 प्रतिशत) और स्वास्थ्य कारण (32 प्रतिशत)।
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