‘करंट साइंस जर्नल’ में प्रकाशित लेख में बीएसआइ वैज्ञानिक कृष्णा चौलू ने बताया कि ट्यूबलर रेड कोरोला की मौजूदगी के कारण एस्किनैन्थस के तहत कुछ प्रजातियों को लिपस्टिक प्लांट कहा जाता है। चौलू ने अरुणाचल प्रदेश में फूलों के अध्ययन के दौरान दिसंबर 2021 में अंजॉ जिले के ह्युलियांग, चिपरू से एस्किनैन्थस के नमूने जमा किए। उन्होंने बताया कि दस्तावेजों की समीक्षा और ताजा नमूनों के अध्ययन से पुष्टि हुई कि नमूने एस्किनैन्थस मोनेटेरिया के हैं, जो 1912 के बाद भारत में कभी नहीं पाए गए थे।
और जांच-पड़ताल जरूरी कृष्णा चौलू का कहना है कि अरुणाचल प्रदेश में वनस्पति की विभिन्न प्रजातियों की दोबारा खोज हुई है। यह राज्य की समृद्ध जैव विविधता को दर्शाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि वनस्पति की इन प्रजातियों के बारे में और अधिक जानने के लिए आगे और जांच-पड़ताल की जरूरत है।
नम और हरे-भरे जंगलों का फूल
शोध के सह-लेखक गोपाल के मुताबिक इस प्रजाति का नाम एस्किनैन्थस ग्रीक के ऐस्किनै या ऐस्किन व एंथोस से लिया गया है। ऐस्किन का अर्थ शर्म महसूस करना और एंथोस का अर्थ फूल है। यह पौधा 543-1134 मीटर की ऊंचाई पर नम व हरे-भरे जंगलों में उगता और अक्टूबर से जनवरी के बीच फलता-फूलता है। प्रकृति संरक्षण के अंतरराष्ट्रीय संघ (आइयूसीएन) में यह प्रजाति लुप्तप्राय के रूप में दर्ज है।