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महिलाएं ऐसे करें स्त्रीधन सिक्योर

locationजयपुरPublished: Aug 12, 2019 02:51:08 pm

Submitted by:

Neeru Yadav

कई महिलाएं (women)ससुराल पक्ष की ओर से प्रताड़ना का शिकार होने के बाद घर में अलग कर दी जाती हैं, ऐसी स्थिति में शादी के समय महिला को दिया गया स्त्रीधन ज्यादातर ससुराल पक्ष द्वारा रख लिया जाता है। सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) ने भी स्त्रीधन (stree dhan)के मामले में स्पष्ट व्याख्या की है। इस पर महिला का ही अधिकार बताया है।

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महिलाएं ऐसे करें स्त्रीधन सिक्योर

कई महिलाएं ससुराल पक्ष की ओर से प्रताड़ना का शिकार होने के बाद घर में अलग कर दी जाती हैं, ऐसी स्थिति में शादी के समय महिला को दिया गया स्त्रीधन ज्यादातर ससुराल पक्ष द्वारा रख लिया जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने भी स्त्रीधन के मामले में स्पष्ट व्याख्या की है। इस पर महिला का ही अधिकार बताया है। दुल्हन को शादी में मिला गिफ्ट
या फिर ज्वैलरी स्त्रीधन के दायरे में आते हैं, दहेज और स्त्रीधन में अंतर होता है। दहेज कानूनी अपराध है, जिसमें दहेज लेने वाला और देने वाला दोनों ही दोषी होते हैं। जबकि शादी के समय, दुल्हन के विदा होते समय, पति द्वारा, ससुराल में सास-ससुर, जेठ-जेठानी और अन्य रिश्तेदारों द्वारा दिए जाने वाले उपहार या ज्वैलरी स्त्रीधन के दायरे में आते हैं। इन गिफ्ट्स में ज्वैलरी, प्रॉपर्टी, कार, अप्लायंस और फर्नीचर आदि शामिल होते हैं। यही नहीं शादी से पहले और बाद में महिला की कमाई भी स्त्रीधन के दायरे में ही आती है। उसकी कमाई से बचत और निवेश भी स्त्रीधन है।
स्त्रीधन को सिक्योर करने के लिए ये करें
– दुल्हन अपनी शादी में मिले उपहार और ज्वैलरी की लिस्टिंग करे। क्योंकि डिवोर्स से जुड़ी कानूनी पेचिदगियों में यह लिस्ट काम आ सकती है
– क्योंकि लिस्ट की हुई सारी ज्वैलरी महिला की होगी, फिर चाहे वह ससुराल पक्ष से मिली हो या फिर मायके से।
– लिस्टिंग स्टाम्प पेपर पर कराई जाए तो बाद में कोई इस पर दावा नहीं कर सकता।
– दो गवाहों की उपस्थिति में शादी में मिले गिफ्ट्स की लिस्टिंग की जाए
– शादी के बाद तैयार की गई लिस्ट में ससुराल और पीहर पक्ष दोनों के हस्ताक्षर कराए जाएं
– स्त्रीधन में जो भी उपहार दिए जाएं उनके बिल या बिल की फोटोकॉपी साथ रखें
– पेमेंट संबंधी उपहार, चैक या ड्राफ्ट की फोटोकॉपी अपने साथ रखें
– बेटी की शादी में करोड़ों रुपए खर्च करने के बजाय शादी के बजट की आधी रकम बेटी के नाम करवा दें। जिस पर सिर्फ उसका अधिकार होगा। इससे उसका फ्यूचर सिक्योर होगा। यह भी स्त्रीधन के दायरे में ही आएगा।
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