धारीवाल की ओर से जारी निर्देशेां के तहत अब भविष्य में रसोई संचालक गलत कूपन जारी करते हैं तो इसके लिए संबंधित आयुक्त अथवा अधिशासी अधिकारी को व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार माना जाएगा। ऐसे अधिकारियों के खिलाफ सरकार राज्य सेवा नियमों के तहत सीधे ही अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। साथ ही गलत कूपन काटने वाले रसोई संचालक पर भी कार्रवाई होगी। ऐसे रसोई संचालक से प्रति गलत कूपन 2000 रुपए का जुर्माना वसूला जाएगा। किसी रसोई संचालक ने हर महीने कम से कम 15 प्रतिशत लाभार्थियों का मोबाइल नंबर रिकॉर्ड में अंकित नहीं किया तो ऐसे रसोई संचालक के ऊपर 10000 रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा। स्वायत शासन विभाग ने यह नई व्यवस्था तत्काल लागू करने के लिए आदेश जारी कर दिए हैं। गौरतलब है कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की जयंती पर पिछले वर्ष 20 अगस्त को यह योजना शुरू की गई थी। इस योजना के माध्यम से प्रदेश के 213 निकायों में 358 रसोइयों के माध्यम से गरीब और जरूरतमंद लोगों का दोनों समय पेट भरा जा रहा है। यह योजना अपने उद्देश्य में सफल रहे इसके लिए कई नियम तय किए गए थे अब उन्हीं नियमों की अनदेखी कर गरीबों के लिए शुरू की गई इस योजना में भी खेल किया जा रहा है।
यह अनियमितताएं आई थी सामने डीएलबी को इंदिरा रसोई में अनियमितताओं को लेकर लगातार शिकायतें मिल रही थी। कुछ रसोई संचालक एक ही लाभार्थी को भोजन के 2-2 कूपन जारी किए जा रहे हैं, जबकि किसी लाभार्थी को और भूख है तो पहले कूपन के 10 मिनट बाद ही दूसरा कूपन जारी किया जा सकता है। नियमों के तहत भोजन करने आने वाले कम से कम 15 प्रतिशत लोगों का मोबाइल नंबर रिकॉर्ड में रखना जरूरी है, लेकिन कई रसोइयों में ऐसा नहीं हो रहा है। यह नियम इसलिए लागू किया गया था ताकि मोबाइल नंबर के आधार पर रसोई की व्यवस्थाओं के बारे में फीडबैक लिया जा सके। संबंधित निकाय के आयुक्त अथवा अधिशासी अधिकारी ना तो मौका मुआयना कर रहे हैं ना ही उसकी रिपोर्ट योजना के पोर्टल पर डाल रहे हैं। मौका मुआयना नहीं होने से योजना का संचालन किस प्रकार किया जा रहा है, यह फीडबैक सरकार को नहीं मिल रहा है।