सरकार 12 गैस सिलेंडर पर सब्सिडी देती है
सरकार एक साल में प्रत्येक गैस कनेक्शन के लिए 14.2 किलोग्राम के 12 सिलेंडरों पर सब्सिडी देती है। ग्राहक को हर सिलेंडर पर सब्सिडी समेत कीमत चुकानी होती है। बाद में सब्सिडी का पैसा खाते में वापस आ जाता है। अगर ग्राहक इससे ज्यादा सिलेंडर लेना चाहते हैं तो उन्हें बाजार मूल्य पर खरीदना होता है।
सरकार एक साल में प्रत्येक गैस कनेक्शन के लिए 14.2 किलोग्राम के 12 सिलेंडरों पर सब्सिडी देती है। ग्राहक को हर सिलेंडर पर सब्सिडी समेत कीमत चुकानी होती है। बाद में सब्सिडी का पैसा खाते में वापस आ जाता है। अगर ग्राहक इससे ज्यादा सिलेंडर लेना चाहते हैं तो उन्हें बाजार मूल्य पर खरीदना होता है।
मुफ्त में मिले सिलेंडर का भी इस्तेमाल नहीं
एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2015 में 88 फीसदी घरों का कहना था कि एलजीपी कनेक्शन का इस्तेमाल न करने की वजह इसका महंगा पडऩा है। 2018 में ये तादाद बस एक फीसदी घटकर 87 फीसदी रह गई। यानि महंगा होने की वजह से मुफ्त में मिले सिलेंडर का भी लोग इस्तेमाल नहीं कर रहे।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2015 में 88 फीसदी घरों का कहना था कि एलजीपी कनेक्शन का इस्तेमाल न करने की वजह इसका महंगा पडऩा है। 2018 में ये तादाद बस एक फीसदी घटकर 87 फीसदी रह गई। यानि महंगा होने की वजह से मुफ्त में मिले सिलेंडर का भी लोग इस्तेमाल नहीं कर रहे।
रसोई गैस पर 5 और कमर्शियल पर 18 फीसदी जीएसटी
रसोई गैस पर 5 फीसदी जीएसटी वसूला जाता है, जिसमें 2.5 फीसदी केन्द्र के खाते में और 2.5 फीसदी राज्य के खाते में जाते है। यानि 19.20 रुपए केन्द्र और राज्य के खाते में प्रति सिलेंडर जाते है। कमर्शियल गैस पर 18 फीसदी जीएसटी वसूला जाता है, जिसमें 9 फीसदी केन्द्र के खाते में और 9 फीसदी राज्य के खाते में जाते है। यानि 124.70 रुपए केन्द्र और राज्य के खाते में प्रति सिलेंडर जाते है।
रसोई गैस पर 5 फीसदी जीएसटी वसूला जाता है, जिसमें 2.5 फीसदी केन्द्र के खाते में और 2.5 फीसदी राज्य के खाते में जाते है। यानि 19.20 रुपए केन्द्र और राज्य के खाते में प्रति सिलेंडर जाते है। कमर्शियल गैस पर 18 फीसदी जीएसटी वसूला जाता है, जिसमें 9 फीसदी केन्द्र के खाते में और 9 फीसदी राज्य के खाते में जाते है। यानि 124.70 रुपए केन्द्र और राज्य के खाते में प्रति सिलेंडर जाते है।