ये तस्वीरें बया कर रही हैं इन बच्चों की दुखभरी दास्तां।
जूते पॉलिश कर कट रही जिंदगी।
बच्चों को प्यार की जगह मिलती है दुत्कार।
बाल दिवस पर बच्चों की दर्दभरी दास्तां।
इन नन्हों के लिए क्या हमें अब कुछ सोचना चाहिए।
आगे आकर इनकी मदद के लिए उठाने चाहिए हाथ।
इन्हें दीजिए रोटी, कपड़ा, और रहने को मकान।
आगे आकर इन्हें अपना कर देना चाहिए दुलार