श्वास रोग विशेषज्ञ डॉ. राकेश गोदरा ने जीना (GINA) गाइडलाइन में 2022 में आए मुख्य बदलावों पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि इनहलेशनल कोर्टिकोस्टीरोईड ही मुख्य इलाज है, जो अब भी देश के अधिकांश मरीज़ों को नहीं मिल पाता। अगर कम तीव्रता वाले अस्थमा का सही ढंग से इलाज नहीं लिया जाए तो उसमें भी मरीज को गंभीर लक्षण हो सकते हैं।
मुंबई के मेडिकवर हॉस्पिटल के पल्मोनोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. रोहन औरंगाबादवाला ने कहा कि अगर इनहेलर का सही तरह से इस्तेमाल किया जाए तो अस्थमा इतना नियंत्रित हो सकता है कि नियमित रूप से इनहेलर की आवश्यकता सिर्फ जरूरत के समय तक सीमित हो सकती है। वहीं ऐसे मरीज जिन्हें गंभीर रूप से अस्थमा है, उनके लिए नई बायोलॉजिक्स दवाएं आ गई हैं, जो फेफड़ों की सूजन को कम करके लक्षणों के नियंत्रित कर सकती हैं। ये दवाएं सिर्फ गंभीर मरीजों को ही दी जानी चाहिए।