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इनहेलर की भ्रांतियों ने मुश्किल किया अस्थमा का इलाज

locationजयपुरPublished: Oct 05, 2022 12:26:41 am

Submitted by:

Gaurav Mayank

हेल्थ टॉक शो में विशेषज्ञों ने कहा कि इनहेलर्स को लेकर लोगों में बहुत सी भ्रांतियां हैं, जिसके कारण अस्थमा का इलाज सामान्य होते हुए भी मुश्किल हो जाता है। विशेषज्ञों ने कहा कि लोगों को लगता है कि इसके अंदर स्टेरॉइड्स होते हैं, जिससे पूरा शरीर प्रभावित होगा, जबकि इसमें बहुत सीमित मात्रा में स्टेरॉयड होता है, जो सिर्फ फेफड़ों तक असर करता है।

इनहेलर की भ्रांतियों ने मुश्किल किया अस्थमा का इलाज

इनहेलर की भ्रांतियों ने मुश्किल किया अस्थमा का इलाज

जयपुर। विश्व में अस्थमा (asthma) के कारण अगर 100 लोगों की मृत्यु होती है तो उनमें से 43 लोग भारत के होते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण अस्थमा के इलाज (asthma treatment) को लेकर फैली भ्रांतियां और जानकारी का अभाव है। कोलकाता मेडिकल एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर और पल्मोनोलॉजी डॉ. राजा धर ने एक हेल्थ टॉक शो में यह जानकारी दी। इस अवसर पर अस्थमा के इलाज पर मुंबई के डॉ. रोहन औरंगाबादवाला व जयपुर के श्वास रोग विशेषज्ञ डॉ. राकेश गोदारा, डॉ. विकास पिलानिया, डॉ. जीतू सिंह, डॉ. पंकज गुलाटी और डॉ. शिवानी स्वामी ने भी चर्चा की। रुकमणी बिरला हॉस्पिटल की ओर से आयोजित हेल्थ टॉक शो में विशेषज्ञों ने कहा कि इनहेलर्स को लेकर लोगों में बहुत सी भ्रांतियां हैं, जिसके कारण अस्थमा का इलाज सामान्य होते हुए भी मुश्किल हो जाता है।
विशेषज्ञों ने कहा कि लोगों को लगता है कि इसके अंदर स्टेरॉइड्स होते हैं, जिससे पूरा शरीर प्रभावित होगा, जबकि इसमें बहुत सीमित मात्रा में स्टेरॉयड होता है, जो सिर्फ फेफड़ों तक असर करता है। इसके अलावा मरीज सिर्फ तकलीफ होने पर ही इनहेलर इस्तेमाल करते हैं, जबकि डॉक्टर के बताए तय समय में इनहेलर का इस्तेमाल करना चाहिए।
अधिकांश मरीजों को नहीं मिल पाता मुख्य इलाज
श्वास रोग विशेषज्ञ डॉ. राकेश गोदरा ने जीना (GINA) गाइडलाइन में 2022 में आए मुख्य बदलावों पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि इनहलेशनल कोर्टिकोस्टीरोईड ही मुख्य इलाज है, जो अब भी देश के अधिकांश मरीज़ों को नहीं मिल पाता। अगर कम तीव्रता वाले अस्थमा का सही ढंग से इलाज नहीं लिया जाए तो उसमें भी मरीज को गंभीर लक्षण हो सकते हैं।
नई दवाओं से लक्षणों को कर सकते नियंत्रित
मुंबई के मेडिकवर हॉस्पिटल के पल्मोनोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. रोहन औरंगाबादवाला ने कहा कि अगर इनहेलर का सही तरह से इस्तेमाल किया जाए तो अस्थमा इतना नियंत्रित हो सकता है कि नियमित रूप से इनहेलर की आवश्यकता सिर्फ जरूरत के समय तक सीमित हो सकती है। वहीं ऐसे मरीज जिन्हें गंभीर रूप से अस्थमा है, उनके लिए नई बायोलॉजिक्स दवाएं आ गई हैं, जो फेफड़ों की सूजन को कम करके लक्षणों के नियंत्रित कर सकती हैं। ये दवाएं सिर्फ गंभीर मरीजों को ही दी जानी चाहिए।
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