मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मंगलवार को कोरोना वैक्सीन को जीएसटी मुक्त करने के लिए केन्द्र सरकार को पत्र भेज दिया। अब तक मुख्यमंत्री गहलोत व राज्य मंत्रिमंडल के सदस्य इस मुद्दे पर बयानों तक ही सीमित थे। कोरोना की वैक्सीन, दवाओं व जीवनरक्षक उपकरणों से जीएसटी हटाने की मांग पर केन्द्रीय वित्त मंत्री सीतारमण के जवाब पर सवाल उठाने वाले पूर्व नौकरशाहों में पूर्व केन्द्रीय वित्त सचिव सुभाष चन्द्र गर्ग भी शामिल हैं।
बकाया 4635 करोड़ भी मांगे
गहलोत ने मंगलवार को केन्द्र को भेजे पत्र में वैक्सीन से जीएसटी हटाने की मांग के साथ यह भी कहा कि राज्य को जीएसटी क्षतिपूर्ति के वर्ष 2020-21 के बकाया 4635 करोड़ रुपए एकसाथ दे। जीएसटी क्षतिपूर्ति राशि वर्ष 2022 तक मिलनी है लेकिन आर्थिक स्थिति को देखते हुए क्षतिपूर्ति देने का प्रावधान 5 साल और बढ़ाया जाए।
जीएसटी हटे तो राज्य को 150 करोड़ की बचत
राज्य में 18 से 44 वर्ष आयु वालों के नि:शुल्क वैक्सीनेशन पर 3 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे। जीएसटी हटाने पर राज्य को 150 करोड़ की बचत होगी।
जीएसटी मिलने पर निर्माता को वस्तु के रॉ-मैटेरियल व सेवा पर चुकाए गए टैक्स का भुगतान वापस मिल जाता है। यह राशि इनपुट टैक्स क्रेडिट कहलाती है।
राज्य चाहें तो यह भी रास्ता
जीएसटी हटाने का निर्णय जीएसटी कौंसिल में होगा। ऐसे में राज्य चाहें तो मिलकर कौंसिल की बैठक बुलाने के लिए दवाब बना सकते हैं। राज्यों का बहुमत होने पर जीएसटी हटाने का निर्णय किया जा सकता है। उसमें केन्द्र सरकार भी बाधा नहीं बन सकती। लेकिन जीएसटी हटने से राज्यों को भी इसका आधा हिस्सा नहीं मिलेगा।
पूर्व नौकरशाह बोले
हटाने से जटिलता, लेकिन मंत्री का तर्क सही नहीं
किसी वस्तु पर जीएसटी घटा दें और इनपुट पर टैक्स ज्यादा दिया जा चुका हो तो इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ नहीं मिलेगा। केन्द्रीय वित्त मंत्री ने इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ नहीं मिलने से लागत बढऩे की बात तो कही लेकिन उपभोक्ता पर भार घटने की बात दबा गईं। हालांकि जीएसटी हटाने से जटिलता बढ़ेगी और उपभोक्ता उसमें उलझ जाएगा। केन्द्रीय वित्त मंत्री का जवाब तो सही है लेकिन तर्क सही नहीं है। क्योंकि डेढ़-दो साल पहले सैनेटरी नैपकिन पर जीएसटी जीरो किया तब तो उसे महिलाओं के लिए फायदेमंद बताया था।
– सुभाषचन्द्र गर्ग, पूर्व केन्द्रीय वित्त सचिव
यह तो जूनियर अकाउंटेंट जैसा तर्क
केन्द्रीय वित्त मंत्री के जवाब से ऐसा लगता है मानो यह जूनियर अकाउंटेंट की अप्रोच से दिया गया हो। जीएसटी हटने से राजस्व कम होगा लेकिन यह जीवन-मरण का सवाल है। इसमें राजस्व के लिए सोचना गलत है। इसके अलावा वैक्सीन की खरीद केन्द्र सरकार के स्तर पर हो और वह ही पैसा लेकर राज्यों को दे दे। जब विमान से खाली टैंक ले जा रहे हैं तो छोटे से टैक्स पर क्यों उलझ रहे हैं?
– पीएन भंडारी, पूर्व वरिष्ठ आइएएस, राजस्थान
ऐसे मिल सकता है फायदा
जीएसटी हटाया तो वस्तु महंगी हो जाएगी लेकिन वस्तु को जीरो प्रतिशत जीएसटी की श्रेणी में शामिल कर दें तो राहत मिलने में दिक्कत नहीं होगी। प्रावधान यह है कि जीएसटी से बाहर होने पर इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ नहीं मिलेगा और उससे कीमत में कमी नहीं आ पाएगी। लेकिन जीएसटी जीरो या एक प्रतिशत कर दिया जाए तो वैक्सीन या अन्य कोई भी वस्तु सस्ती हो जाएगी।
– संजय झंवर, एडवोकेट व कर विशेषज्ञ
मुनाफा क्यों लेने दिया जाए?
इनपुट टैक्स क्रेडिट के बारे मे सरकार ने प्रावधान किया है तो उसकी नीति वह बदल सकती है। वैक्सीन बनाने पर 150 रुपए का भी खर्च नहीं आता, तो उस पर मुनाफा क्यों लेने दिया जाए? हर वह राह खोलनी चाहिए, जिससे वैक्सीन की सप्लाई तुरंत बढ़ सके।
– रीतिका खेड़ा, अर्थशास्त्री एवं एसोसिएट प्रोफेसर, आइआइटी दिल्ली