ऐसे में सत्र में शामिल होने के कारण इन जनप्रतिनिधियों के बिना ही निर्णय लेने से जनप्रतिनिधि न केवल नाराजती जताते हैं बल्कि जिस कमेटी में उन्हें मनोनीत किया जाता है, उसकी बैठक में शामिल नहीं होने से इस मनोनयन का भी कोई मतलब नहीं रह जाता है। ऐसे में संसदीय कार्य विभाग ने सभी विभागों और जिला, संभाग के अफसरों को निर्देश दिए हैं कि वो विधानसभा सत्र चलने के दौरान ऐसी कोई बैठक नहीं करें, जिसमें विधायक मनोनीत सदस्य होते हैं।
अगर ऐसा किया जाएगा तो इसे विशेषाधिकार का हनन मानते हुए विशेषाधिकार समिति के समक्ष रखकर संबंधित अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई भी की जा सकती है। इसलिए संसदीय कार्य विभाग ने यह हिदायत दी है कि विधानसभा सत्र के दौरान अगर किसी विशेष परिस्थिति के कारण बैठक करना बहुत जरूरी हो तो संबंधित विधानसभा सदस्य की पूर्व में इसके लिए सहमति ले ली जाए।