बीमा नियमों में बदलाव का असर
डायबिटीज-हाइपरटेंशन-ब्लड प्रेशर जैसी लंबी और घातक बीमारियों के लिए आ सकता है नया हेल्थ इंश्योरेंस प्लान। इससे वरिष्ठ नागरिकों, लंबी बीमारियों के लिए बेहतर कवरेज मिलने की उम्मीद है। देश में अभी 20 प्रतिशत से भी कम लोगों के पास प्राइवेट हेल्थ इंश्योरेंस कवरेज है। 30 प्रतिशत भारतीय नागरिकों के पास कोई हेल्थ इंश्योरेंस या इमरजेंसी हेल्थ फंड नहीं है। 70 करोड़ लोग प्रधानमंत्री जनआरोग्य योजना व राज्यों के ग्रुप इंश्योरेंस के तहत कवर्ड किए गए हैं।
कस्टम-मेड पॉलिसी
भारत में जल्द ही कई कस्टम-मेड स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियां लॉन्च हो सकती हैं। आमतौैर पर अभी डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, हाइपरटेंशन और हृदयरोग जैसे क्रॉनिक नॉन-कम्युनिकेबल डिजीज को हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसीज में कवरेज नहीं मिलता है, जबकि दुनियाभर में इससे सबसे अधिक मरीज भारत में हैं।
यूनिवर्सल कवरेज का होगा विस्तार
प्रोेडक्ट लॉन्च करने की आजादी से बीमा कंपनियां कई तरह के उत्पाद पेश कर सकती हैं जो देश में यूनिवर्सल स्वास्थ्य कवरेज का विस्तार देगा। इंश्योरेंस इंडस्ट्री का कहना है कि अब वे कस्टमर्स की डिमांड के मुताबिक तेजी से नए प्रोडक्ट लॉन्च कर सकेंगे।
जरूरत के हिसाब से ले सकेंगे इंश्योरेंस
जल्द ही रोगियों की जरूरत के हिसाब से उनके लिए खास हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी कस्टमाइज किया जा सकता है और इसके मुताबिक इंश्योरेंस प्रीमियम तय हो सकता है। इसी तरह हृदय रोगियों के लिए एंजियोप्लास्टी जैसे प्रोसीजर के कवरेज वाला प्लान आ सकता है।