-तथ्य गलत पाने पर राशि युवती को मिलेगी मुआवजे के रूप में न्यायाधीश संदीप मेहता तथा न्यायाधीश देवेंद्र कच्छवाह की खंडपीठ के समक्ष याचिकाकर्ता इंद्रजीत ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर कहा कि वह एक युवती से प्रेम करता है। युवती भी उससे प्रेम करती है। बालिग होने के बावजूद युवती को पिता ने घर में निरुद्ध कर रखा है। उसकी इच्छा के खिलाफ शादी की कोशिश की जा रही है। याची के अधिवक्ता ने कहा कि कोर्ट युवती को कोर्ट में पेश करने के निर्देश दे तो याची धरोहर के रूप में राशि जमा करवाने को तैयार है। याचिका में उठाए गए तथ्य गलत पाए जाने पर यह राशि युवती को मुआवजे के रूप में दी जा सकती है।
-हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को दी सात दिन की मोहलत खंडपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता को दो लाख रुपए सात दिन में डिप्टी रजिस्ट्रार (न्यायिक) के पास जमा करवाने होंगे। इसकी रसीद अतिरिक्त महाधिवक्ता फरजंद अली को देने पर वह संबंधित पुलिस थाने को सूचित कर सकेंगे कि युवती को कोर्ट के समक्ष पेश किया जाए। अगली सुनवाई 21 जुलाई को होगी, लेकिन कोर्ट ने स्पष्ट किया कि आठ जुलाई तक राशि जमा नहीं करवाई गई तो बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका स्वत: खारिज मानी जाएगी। कोर्ट के आदेश से साफ है कि दो लाख रुपए की राशि की रसीद अतिरिक्त महाधिवक्ता को मिलने पर वे संबंधित पुलिस थाना को सूचित करेंगे, इसके बाद याची के तथ्यों की पुष्टि के लिए युवती को कोर्ट में पेश किया जाएगा