सुपर वीमन होने का दबाव न लें international women's day 2020
महिला सशक्तिकरण का कितना ही नारा लगा लें, हकीकत का धरातल कुछ और ही कहता है। महिलाओं को अभी सामाजिक, राजनीतिक से लेकर कई स्तर पर बराबरी देना बाकी है। इसके बावजूद भी कई सशक्त हस्ताक्षर हैं उन महिलाओं के, जो समाज के लिए एक उदाहरण है
Published: 07 Mar 2020, 03:55 PM IST
महिला दिवस पर आपको रूबरू करवा रहे हैं ऐसी शख्सियत से जो युवाओं के लिए आइडियल हैं, जो अपने पद पर रहते हुए समाज में बदलाव पर भी पूरी नजर बनाए हुए हैं। यह हैं आईपीएस प्रीति जैन। प्रीति जैन सुपन वीमन के कॉन्सेप्ट को नहीं मानती। वे चाहती हैं कि महिलाएं अपने जीवन को अपनी मर्जी से भरपूर जीएं। पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ में खुद को झोंके नहीं, बल्कि पूरे परिवार की मदद लें। किस तरह से वे अपनी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ में तालमेल बनाती हैं, जानते हैं उन्हीं से।
वे कहती हैं कि प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ को अलग—अलग रखने से काफी परेशानियां दूर हो जाती हैं। मुश्किल वहां आती है, जब दोनों को साथ—साथ लेकर चलते हैं। सुपर वीमन जैसा कॉन्सेप्ट कुछ नहीं होता। पर्सनल और प्रोफेशनल को बैलेंस कर चलना और प्रायोरिटी तय करना जरूरी है। सामाजिक स्तर पर महिला सशक्तिकरण पर काम बाकी है। जेंडर एक्वेलिटी में हम काफी पीछे हैं। एजुकेशन और आर्थिक सशक्तिकरण पर ध्यान दें। वे महिलाओं से कहती हैं कि अपनी जिंदगी को खुश होकर जीएं। अपनी खुशी के लिए काम करे। उस जिस काम में खुशी मिलती हो, उसे जीएं। स्ट्रेस न लें। बड़ा करने का दबाव न लें। छोटी—छोटी खुशियों के लिए जीएं।
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