जयपुर

Jammu Kashmir में 315 बार हुई इंटरनेट ‘बंदी’, Rajasthan में 75 और UP में 29 बार ‘शटडाउन’

राज्यों में इंटरनेटबंदी बन गया ट्रेंड, दूसरे विकल्प पर काम ही नहीं कर रही सरकारें

जयपुरSep 22, 2021 / 11:20 pm

Bhavnesh Gupta

Jammu Kashmir में 315 बार हुई इंटरनेट ‘बंदी’, Rajasthan में 75 और UP में 29 बार ‘शटडाउन’

भवनेश गुप्ता
जयपुर। देश में डिजिटल मुहिम के बीच इंटरनेट शटडाउन के ग्राफ ने चिंता बढ़ा दी है। जम्मू कश्मीर अब भी इंटरनेट शटडाउन में पहले पायदान पर है, जबकि राजस्थान दूसरा राज्य है जहां सबसे ज्यादा इंटरनेट बंद किया जा रहा है। देश में पिछले पांच साल में 481 बार इंटरनेट पर पाबंदी लगाई, जबकि कोविड काल में ही यह आंकड़ा 162 को पार कर गया। जबकि, इसी दौरान डेटा खपत 15 फीसदी बढ़ गई।
बताया जा रहा है कि जम्मू कश्मीर में 315 बार इंटरनेट पर पाबंदी लगाई गई और राजस्थान में 75 बार यह स्थिति बनी। तीसरे नम्बर पर उत्तरप्रदेश है जहां तुलनात्मक रूप में केवल 29 बार इंटरनेट शटडाउन हुआ। वहीं, 15 राज्यों में यह आंकड़ा दहाई से भी नीचे हैं, जबकि इन राज्यों में भी प्रतियोगी परीक्षा से लेकर तनावपूर्ण स्थितियां रही हैं। यह आंकड़ा भी केवल उस दिन का है जिस दिन इंटरनेट बंद किया गया। इसमें कब तक इंटरनेट प्रभावित रहा, ऐसे दिनों की संख्या तो और भी ज्यादा है। इंटरनेट बंद करने को लेकर लेटेस्ट रिपोर्ट में यह सामने आया है।

देश में इस तरह बढ़ा ग्राफ
वर्ष——इंटरनेट बंद संख्या
2012— 3
2013— 5
2014— 6
2015— 14
2016— 31
2017— 79
2018— 134
2019— 106
2020— 129
2021— 63 (अब तक)
(स्त्रोत—इंटरनेट ट्रेकर एजेंसी की रिपोर्ट के आधार पर। राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में गृह मंत्रालय ने इंटरनेट शटडाउन की जानकारी एकत्रित नहीं होने का हवाला दिया है)
राजस्थान में टॉप 5 जिले
सीकर— 15
जयपुर— 13
उदयपुर— 11
भीलवाड़ा— 8
भरतपुर— 7

पिछले दस साल में देश में स्थिति..
राज्य————इंटरनेट बाधित रहा
जम्मू—कश्मीर— 315
राजस्थान— 75
उत्तरप्रदेश— 29
हरियाणा— 17
पश्चिम बंगाल— 12
गुजरात— 11
बिहार— 11
महाराष्ट्र— 11
मध्यप्रदेश— 7
मेघालय— 7
अरुणाचल प्रदेश— 6
मणिपुर— 6
(ओडिशा, पंजाब, दिल्ली, तेलांगाना, आसाम, नागालैंड, चंडीगढ़, कनार्टक, तमिलनाडू, झारखण्ड में एक से तीन दिन रहा)

परीक्षा, रैली, धरने पर इंटरनेटबंदी बना गया ट्रेंड
रैली, धरने, प्रतियोगी परीक्षा व अन्य छोटे-मोटे कारणों से भी इंटरनेट सेवा बंद की जाती रही है। जरूरत के बिना ही इंटरनेट शटडाउन करने का ट्रेंड बना दिया।
सुप्रीम कोर्ट कह चुका— जम्मू कश्मीर से जुड़े एक मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि आज के दौर इंटरनेट लोगों के मौलिक अधिकारों में शामिल हो गया है। ऐसे में बेवजह इंटरनेट बंद नहीं किया जा सकता है।
इन पर पड़ रहा असर
-डेबिट-क्रेडिट कार्ड भुगतान प्रक्रिया, ई-वॉलेट ट्रांजेक्शन, मूवी टिकट बुकिंग, मोबाइल बैंकिंग, इंटरनेट बैंकिंग, ऑनलाइन टैक्सी सर्विस,ऑनलाइन होम डिलवरी, ऑनलाइन फूड ऑर्डर।
-पानी-बिजली आदि के बिल जमा, ऑनलाइन शॉपिंग, होटल बुकिंग, फ्लाइट बुकिंग, रेल यात्रा बुकिंग, कॉर्ड स्वाइप मशीन,ऑनलाइन मॉन्यूमेंट बुकिंग,मनी ट्रांसफर व अन्य।
-अभी कई निजी कंपनियों में वर्क फ्रॉम होम चल रहा और कोरोना गाइडलाइन के तहत स्कूली बच्चे आॅनलाइन क्लास भी ले रहे हैं।

-जैमर जैसे विकल्प हो सकते हैं, लेकिन सब कुछ स्थिति पर निर्भर करता है। इंटरनेट बंद कराने या अन्य विकल्प अपनाने का निर्णय गृह विभाग और स्थानीय प्रशासन लेते हैं। -आलोक गुप्ता, प्रमुख सचिव, सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार विभाग
-राजस्थान में बेहद जरूरी होने पर इंटरनेट शटडाउन लेते हैं। फिर भी इसके और क्या विकल्प हो सकते हैं इस पर अध्ययन कर रहे हैं। संबंधित अधिकारियों से भी रिपोर्ट मांगी है। -अभय कुमार, प्रमुख सचिव, गृह विभाग

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