राठौड़ ने कहा कि 12 मई, 1994 में पांच राज्यों के बीच में समझौता हुआ था, जिसमें यमुना के सर प्लस पानी में से 1.119 डीसीएम हिस्से का पानी राजस्थान को आवंटित हुआ था और उसके क्रियान्वयन के लिए अपर यमुना 1/4 बोर्ड भी बना? लेकिन इतने साल गुजर जाने के बावजूद राजस्थान को अपने हिस्से का पानी नहीं मिल पाया। राठौड ने कहा कि ताजा वाला हेड से चूरू और झुंझुनूं में 1 लाख 96 हजार हेक्टेयर की सिंचाई के लिए और सीकर में फ्लोराइड युक्त पानी की समस्या से मुक्ति के लिए यह पानी दिया जाना था। लेकिन इतने साल बाद राजस्थान को उसका हक नहीं मिल पाया। राठौड ने यह भी कहा कि यकीनन हरियाणा में भाजपा की सरकार है लेकिन जब बात राजस्थान के हित की हो तो हम सब एक हैं।
कटारिया बोले संकल्प पारित किया जाए नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि राजस्थान में यमुना ही नहीं कई अंतरराज्यीय जल समझौता विवादों में है, जिसकी वजह से राजस्थान को अपने हक का पानी नहीं मिल पा रहा। चाहे बीजेपी की सरकार हो या कांग्रेस की हम सब राजस्थान के हिस्से का पानी मिल सके इसके लिए एकजुट हैं। इसलिए तमाम योजनाओं को एकजुट करते हुए एक प्रस्ताव बनाकर सत्र के दौरान संकल्प और प्रस्ताव रखा जाए और फिर जहां जरूरत हो हम मिलकर चलने को तैयार है।
कल्ला बोले हरियाणा ने सर्वे भी नहीं करने दिया जलदाय मंत्री बी.डी. कल्ला ने कहा कि यमुना के सर प्लस पानी को लेकर राजस्थान को जल आवंटित हुआ था। केंद्रीय जल आयोग ने 2003 में अपनी स्वीकृति भी दे दी, लेकिन हरियाणा की सरकार से इस मामले में सहमति नहीं मिल पाई। पाइपलाइन के जरिए लाने की योजना भी बनाई और सैद्धांतिक स्वीकृति मिली। इसकी संशोधित डीपीआर बनाकर केंद्रीय जल आयोग के समक्ष साल 2021 में ही इसका प्रेजेंटेशन भी दिया गया, लेकिन हरियाणा की ओर से कोई सहयोग नहीं मिल रहा। स्थिति यह है कि इस काम के सर्वे के लिए हरियाणा ने स्वीकृति तक नहीं दी। ऐसे में हेलीकॉप्टर के जरिए डीपीआर के लिए सर्वे का काम करवाया गया।