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तो क्या टाइमिंग का खेल है चुनाव?

locationजयपुरPublished: Sep 08, 2018 01:51:22 am

Submitted by:

anoop singh

प्री-पोल का सरप्राइज फॉर्मूला

Jaipur

तो क्या टाइमिंग का खेल है चुनाव?

यों तो देश भर में हर साल किसी न किसी राज्य में चुनावी चौसर बिछी ही रहती है। लेकिन अभी राजस्थान समेत मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और मिजोरम में तयशुदा कैलेंडर के अनुसार वर्ष के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। नए नवेले राज्य तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) ने गुरुवार को ट्रंप कार्ड चल दिया। विधानसभा भंग करने की सिफारिश कर दी। सदन में आरामदायक बहुमत है लिहाजा सभी विधायकों ने मेजें थपथपा कर सहमति दे दी। केसीआर राजनीति में सरप्राइज एलीमेंट को भुनाने के फेर में हैं। लगभग चार-पांच साल में एंटी इंकम्बैंसी आ ही जाती है। जनता जब तक विरोध के लिए पोलिंग टाइमिंग का इंतजार करे। उससे पहले ही चुनाव के लिए जाने को कह दिया जाता है। वैसे भी कहते हैं राजनीति टाइमिंग का खेल है। कब क्या दांव चलना है इसकी सही कैलकुलेशन कर ली जाए तो फिर जीत आपकी है। फिर चाहे कोई घोषणा करनी हो या फिर दल बदल करना हो परफैक्ट टाइमिंग जरूरी है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि केसीआर अपने विरोधियों को पटखनी देने के लिए प्री-पोल का सरप्राइज फॉर्मूला लाए हैं। वैसे केसीआर काफी धार्मिक किस्म के राजनेता हैं। कहते हैं कि उन्होंने ज्योतिषियों से सलाह भी ली थी। वैसे ये बात तो साबित नहीं हो सकती लेकिन हां, विधानसभा भंग करने की सिफारिश के बाद केसीआर खुले तौर पर धर्मगुरुओं से आशीर्वाद लेने के लिए पहुंचे। बकायदा फोटो भी जारी की गईं।
तारीख तो चुनाव आयोग तय करेगा
केसीआर ने भले ही ट्रंप कार्ड चल दिया हो, लेकिन मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने शुक्रवार को दो टूक शब्दों में कहा किसी ज्योतिषी या धर्मगुरु की सलाह पर चुनाव की तारीख तय नहीं की जा सकती है। बेशक चार राज्यों में चुनाव प्रस्तावित हैं लेकिन तेलंगाना में इस प्रकार अचानक से चुनाव नहीं कराए जा सकते हैं। पूरा कलैंडर तैयार करना पड़ा है। इवीएम, वीवीपैट, कर्मचारी और सुरक्षा बल लगाने पड़ते हैं। रावत का कहना सही लगता है।
पलटवार भी साबित हो सकता है दांव
हाल के वर्षों में ब्रिटिश प्रधानमंत्री थेरेसा मे ने भी प्री पोल का दांव चला था। बामुश्किल अपनी गद्दी बचा सकीं। काफी छिछालेदार झेलनी पड़ी। वैसे देश में भी आमचुनाव के बारे में राजनीतिक गलियारों में प्री पोल का जुमला चल रहा है। चुनावी कलैंडर के हिसाब से अगले वर्ष मई से पहले चुनाव होने हैं। वैसे कुल मिलाकर चुनाव है तो टाइमिंग का खेल, हां जनता रिसर्व स्विंग भी कर देती है कभी-कभी…!
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