उन्होंने राउज एवेन्यू कोर्ट में एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल को बताया, “जब मैंने अपने वोग आर्टिकल और 8 अक्टूबर के ट्वीट में अपने पहले जॉब इंटरव्यू के अनुभव का खुलासा किया तो मैंने सच कहा। महिलाओं के लिए कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के बारे में बोलना महत्वपूर्ण और जरूरी है। हम में से कई लोगों को यकीन दिलाया जाता है कि मौन एक सद्गुण है।”
जनता की भलाई के लिए बोला सच
उन्होंने आगे कहा, “मिस्टर अकबर से संबंधित अपने सभी खुलासों में, मैंने सार्वजनिक हित और जनता की भलाई के लिए सच बोला। मेरी यह आशा थी कि मेरे खुलासे जो ‘मी टू मूवमेंट’ का हिस्सा थे, वे महिलाओं को सशक्त बनाएंगे और उन्हें कार्यस्थल पर उनके अधिकारों को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेंगे।”मुंह खोलने की कीमत चुकानी पड़ी
रमानी ने कहा कि इस बारे में मुंह खोलने की कीमत उन्हें व्यक्तिगत तौर पर चुकानी पड़ी है। उन्होंने कहा, “मुझे इससे कुछ नहीं मिलने वाला। मैं एक प्रसिद्ध पत्रकार हूं, मैं अपने परिवार के साथ बेंगलूरु में शांतिपूर्ण जिंदगी बिताती हूं।” उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी महिला के लिए इस तरह के खुलासे करना आसान नहीं होता। रमानी ने कहा, “मैं चुप रहकर निशाना बनाए जाने से बच जाती, लेकिन ऐसा करना सही नहीं होता।”