स्कूल टीचर के रूप में कॅरियर की शुुरुआतहालांकि इनका शैक्षणिक रिकॉर्ड इतना खराब था कि उसे कॉलेज और यूनिवर्सिटी में भी आसानी से प्रवेश नहीं मिला लेकिन अंग्रेजी भाषा पर अच्छी पकड़ बना ली थी। अंग्रेजी भाषा में ग्रेजुऐशन करने बाद एक संस्थान में करीब तीन साल तक अंग्रेजी टीचर के रूप में काम किया। इस दौरान प्रतिमाह के हिसाब से 12 डॉलर मिलने लगे। अब उन्होंने आगे की पढ़ाई के लिए जॉब छोडऩे का निर्णय लिया। हार्वर्ड विश्वविद्यालय से अध्ययन की इच्छा थी। इसलिए उन्होंने करीब 10 बार प्रवेश के लिए यूनिवर्सिटी में आवेदन किया लेकिन हर बार आवेदन निरस्त कर दिया गया।जब बिजनेस शुरू किया तब भी मिली चुनौतियांइन्होंने 30 से ज्यादा नौकरियों के लिए आवेदन किया लेकिन सफलता नहीं मिली। एक बार शहर में केएफसी रेस्तरां खुलने जा रहा था। 24 लोगों ने जॉब के लिए आवेदन किया। इसमें से 23 लोगों का सलेक्शन हुआ केवल वे ही थे, जिनका आवेदन निरस्त कर दिया गया। बचपन से लेकर अब तक इतनी विफताओं के देखने के बाद भी इस व्यक्ति के हौंसले कमजोर नहीं हुए।इंटरनेट ने बदला जीवन1995 में यह व्यक्ति अपने कुछ दोस्तों के साथ अमरीका घूमने गया। इस दौरान उसे इंटरनेट की दुनिया के बारे में पता चला। उन्हें पता चला कि इंटरनेट के माध्यम से अलग-अलग देशों से जानकारी जुटाई जा सकती है। उन्होंने एक शब्द लिखकर इसके संबंध में जानने की कोशिश की। उन्होंने देखा की उस शब्द से संबंधित बहुत से देशों से जानकारी मिली लेकिन चीन का कहीं नाम नहीं था। इसके बाद उन्होंने इसी तरह कुछ और शब्द लिखें, लेकिन इस बार भी चीन का नाम कहीं नहीं था। अपने देश की जानकारी इंटरनेट पर न होने के कारण वे बहुत दुखी हुए। उन्हें लगा कि आने वाले दिनों में उसका देश सभी देशों से पिछड़ जाएगा। इसी सोच ने उनका जीवन बदल दिया। अपने दोस्त के साथ मिलकर चीन की जानकारी देने वाली एक वेबसाइट शुरू की। वेबसाइट को लॉन्च करने के पांच घंटों बाद ही उन्हें कई लोगों का मेल मिला।[typography_font:14pt;” >चीन में जन्मे इस व्यक्ति का बचपन संघर्ष के दौर में निकला। जब जन्म हुआ तो चीन में साम्यवाद अपने चरम पर था। इसके के चलते परिवार को काफी यातनाएं भी सहनी पड़ी थी। परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं थी। माता-पिता नृत्य और गीत के माध्यम से कहानिया सुनाया करते थे। इसी से जो आमदनी होती उससे तीनों बच्चों का पालन-पोषण करते थे। बचपन में जब किसी को अंग्रेजी में बात करते हुए देखते तो उसका मन भी अंग्रेजी बोलने को करता लेकिन माता-पिता के पास इतने पैसे नहीं थे कि किसी अच्छे संस्थान में उसे दाखिला दिला सके। इसे अंग्रेजी सीखने की ललक इतनी थी कि रोजाना साइकिल से एक होटल में जाता और विदेशी पर्यटकों की बातों का सुनता। अब उसने टूर गाइड के रूप में काम करना शुरू कर दिया था ताकी अंग्रेजी बोलना आए। स्कूल की पढ़ाई में उसका मन कम ही लगता था। यही वजह है कि प्राथमिक विद्यालय और माध्यमिक विद्यालय में कई बार फैल भी हुआ। यहां तक की कॉलेज की प्रवेश परीक्षा में भी तीन बार अनुत्तीर्ण हुआ।फिर बनाई अपनी कंपनीदोस्तों के साथ मिलकर 20 हजार डॉलर में एक कंपनी की शुरुआत की, जिसका नाम चाइना येलो पेज रखा। अब वह अपने अमरीकी दोस्तों की मदद से चीनी की कंपनियों के लिए वेबसाइट बनाने लगा। इसी बीच 1998 में चाइना इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स सेंटर में अध्यक्ष पद पर काम किया लेकिन साल बाद ही रिजाइन दे दिया। कुछ नया करने की चाह में उसने 17 दोस्तों की मदद से 80 हजार डॉलर में ई-कॉमर्स कंपनी शुरू की। यह कंपनी सप्लायर्स और बायर्स के बीच एक कड़ी का काम करती थी। हालांकि शुरुआती दौर में उन्हें बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा लेकिन उनके हौंसले कभी कमजोर नहीं पड़े। आज यह कंपनी दुनिया की नामी कंपनी है। यह व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि अलीबाबा समूह के संस्थापक जैक मा है। वर्ष 2013 में 10 लाख करोड़ रुपए के आईपीओ साथ यूएस मार्किट में सबसे बड़ी आईपीओ वाली कंपनी बनकर उभरी। एक छोटे से अपार्टमेंट में जिस कंपनी की शुरुआत की थी आज उसके करोड़ों सदस्य 240 से भी ज्यादा देशों में फैले हैं। खुद जैक की संपत्ति 23 बिलियन डॉलर से भी अधिक है। जैक ने कभी जीवन में हार नहीं मानी। यही जिद उन्हें इस मुकाम तक ले गई।