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ईं की ऊं की चाहे जीं की भी बणै सरकार, पहली सगळा वोट करो थे यो थांको अधिकार…

locationजयपुरPublished: Nov 26, 2018 10:44:19 am

Submitted by:

Mridula Sharma

कविताओं से दिया स्वच्छ छवि वाले प्रत्याशी को वोट देने का संदेश

jaipur

ईं की ऊं की चाहे जीं की भी बणै सरकार, पहली सगळा वोट करो थे यो थांको अधिकार…

जयपुर. फिर से आ गया चुनाव, फिर से आ गया चुनाव.. बदल जाएगा देश के हर नेता का अब स्वभाव.. फिर से आ गया चुनाव। हर रोज सूट-बूट में एक नया चेहरा आएगा.. मीठे-मीठे वादे और कुछ सपनों की सौगात लाएगा.. ईं की ऊं की चाहे जीं की भी बणै सरकार, पहली सगळा वोट करो थे यो थांको अधिकार। कुछ ऐसी ही रचनाओं के साथ चुनावी कवि सम्मेलन में कवियों ने न सिर्फ अधिकाधिक मतदान का आह्वान किया बल्कि स्वच्छ छवि वाले प्रत्याशी को चुनने का संदेश दिया। कार्यक्रम में 100 से अधिक काव्यप्रेमियों ने शिरकत की। कवियों ने कविताओं-गजलों से श्रोताओं को गुदगुदाया। कवियों ने राजस्थानी व ढूंढाड़ी में भी रचनाएं सुनाकर मतदान का संदेश दिया।
खूब बांधा समां
चुनाव, जनमत, चुनावी जागरूकता, वोट देना क्यों जरूरी है, जनमत की ताकत, भ्रष्टाचार, वादाखिलाफी, जात-पांत, धर्म-सम्प्रदाय आदि विषयों पर कवियों ने अपनी रचनाओं से 4 घंटे तक समां बांध दिया। इस दौरान लोगों को चेंजमेकर अभियान के बारे में बताया। फेक न्यूज के बारे में जागरूक भी किया गया। इसमें बताया गया कि सोशल मीडिया पर आई किसी भी पोस्ट को आगे बढ़ाने से पहले उसकी तत्थात्मक जांच करनी चाहिए। बिना सोचे-समझेे पोस्ट को आगे नहीं भेजनी चाहिए। कार्यक्रम में मंथ ऑफ द पोयट का सम्मान नागौर के प्रकाश जांगिड़ को दिया गया। मुख्य अतिथि अशोक शर्मा को शॉल और स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया। अंत में सुमधुर के संस्थापक प्रवीण नाहटा ने प्रकाश जांगिड़ को सुमधुर पोएट ऑफ द मंथ के खिताब से नवाजा। कार्यक्रम का संचालन कुणाल आचार्य, विशाल गुप्ता ने किया।
ऐसे दिया संदेश
– ईं की ऊं की चाहे जीं की भी बणै सरकार, पहली सगळा वोट करो थे यो थांको अधिकार। -अभिलाषा पारीक
– मैंने सुना है प्रदेश में चुनावी दंगल चालू हो गया, लगता है कुछ दिन जनता का मंगल चालू हो गया। – रोहित नागर
– सच को भट्टी में पिघलाकर झूठ बनाया जाएगा, सत्ता की खातिर फिर अपना मियाद गिराया जाएगा। – प्रकाश जांगिड़
– सर पे चुनाव आए, नेताओं ने कान खाए। हमको ही वोट देना करते खबरदार। दल हुए दलदल किसे हम वोट करें। लूट ओ खसूट मची फूल रहा भ्रष्टाचार। – यादवेंद्र आर्य
– कभी भोगी कभी योगी और कभी जोगी। असल में ये सब हैं राजनीति के पहुंचे हुए रोगी। – द्वारकाप्रसाद विरही
– अब दिल्ली के हुक्मरानों को जगाना होगा, राफेल दलाली और वोट बैंक की सेंध से ऊपर उठना होगा। – अनुराग सोनी
– रौनक है गलियों में, नए-नए वोटर भी एक दिन का भगवान बनने को खड़ा। -सोफिया चौधरी
– भरे पेट याद आती हैं राजनीति की बातें, भूखे पेट मतों की पेटियां कहां जाती हैं। -नरेश प्रजापत
– फिर से आ गया चुनाव, फिर से आ गया चुनाव.. बदल जाएगा देश के हर नेता का अब स्वभाव – कुणाल आचार्य
– चाहे कुछ भी कहना साथी, मैं प्रेम गीत न गाऊंगा। – सौरभ बंसल
– अच्छी बने सरकार और अच्छा हो नतीजा, भ्रष्ट को नही चुनें चाहे भाई हो या भतीजा, जाति देख कर वोट देने वालों यह बताओ, तुम जनसेवक चुन रहे हो या अपना जीजा। – विजेन्द्र प्रजापत
– अपनों ने जब हरा दिया तो नेताजी ये बोले इनसे तो चंबल के बागी लाख गुना हैं अच्छे। -सूर्यप्रकाश

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