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जयपुर

जेल बोल रहीं…थोड़ी सांस लेने की जगह तो दे दो!

वारंट तो जारी होते हैं… पेशी नहीं! वर्ष 2017 में बंदियों की जेल से पेशी के लिए कोर्ट से 5,56,493 वारंट जारी हुए, लेकिन उनमें से 3,28,345 की पालना में ही बंदी पेश हो पाए। वर्ष 2018 में भी बंदियों की पेशी के लिए 2,10,838 वारंट जारी हुए, लेकिन उनमें से 1,21,712 ही बंदी पेश हो पाए। बाद में इसका आंकड़ा तो कभी सार्वजनिक नहीं हुआ, लेकिन बताया जाता है कि स्थिति में ज्यादा बदलाव नहीं आया है।

जयपुरAug 10, 2022 / 01:48 am

Shailendra Agarwal

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जयपुर . देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, लेकिन देश की जेलें ठसाठस हैं और उनमें बंद लोग चालानी गार्ड की कमी के कारण कोर्ट में पेशी तक को छटपटा रहे हैं। जेलों में विचाराधीन बंदियों की संख्या को लेकर देश के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमणा से लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तक चिंता जता चुके। जेलों का सच यह है कि देशभर में इनमें 70 प्रतिशत से अधिक आबादी विचाराधीन बंदियों की है। राजस्थान में संख्या करीब 80 प्रतिशत है और यहां चालानी गार्ड की संख्या वर्ष 1960 के लगभग बराबर है। नतीजा यहां क्षमता से भी 6-7 प्रतिशत ज्यादा लोग जेल में हैं।
हाईकोर्ट 3 साल पहले चालानी गार्ड बढ़ाने के आदेश दे चुका, तब 40 से 50% बंदी चालानी गार्ड की कमी से कोर्ट में पेश नहीं हो रहे थे। पेशी की तारीख निकलने पर नई तारीख 15 दिन बाद की मिलती है। वीसी से पेशी के नियम बन गए, लेकिन कई जिलों में वीसी शुरू ही नहीं हुई।
जेलों को लेकर पीएम- सीजेआई तक चिंतित

चालानी गार्ड के पद नहीं भर रहे। यह राजस्थान ही नहीं, पूरे देश की समस्या है। यदि यह प्राथमिकता नहीं है तो जेलों को लेकर चिंता दूर होने वाली नहीं है। केन्द्र को राज्यों की मदद करनी चाहिए। प्रतीक कासलीवाल, जेल मामले में राजस्थान हाईकोर्ट में न्यायमित्र
2019 में यह स्थिति थी

2019 में करीब 800 कोर्ट, 247 चालानी गार्ड। सरकार ने 876 पद अतिरिक्त मंजूर किए, लेकिन 438 की भर्ती हो पाई है। उस समय चालानी गार्ड के 2467 अतिरिक्त पदों की आवश्यकता बताई गई थी।

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