जयपुर

पड़वा ढोक(क्षमावाणी) आज, होंगे पंचामृत अभिषेक, 71 श्रद्धालुओं ने रखे दस दिन के उपवास और 700 श्रद्धालुओं ने रखे तीन दिन के उपवास

-वर्ष भर जाने-अनजाने में हुई गलतियों के लिए रिश्तेदारों, परिचितों, परिजनों और मित्रों से मांगेगे क्षमा
-पर्यूषण पर्व में साधना करने वाले श्रावकों का हुआ सम्मान, निकाली शोभायात्रा

जयपुरSep 24, 2018 / 09:27 pm

Harshit Jain

पड़वा ढोक(क्षमावाणी) आज, होंगे पंचामृत अभिषेक, 71 श्रद्धालुओं ने रखे दस दिन के उपवास और 700 श्रद्धालुओं ने रखे तीन दिन के उपवास

जयपुर. दिगम्बर जैन समाज के दशलक्षण पर्यूषण पर्व के समापन पर सोमवार को शहर के विभिन्न मन्दिरों में पर्व के दौरान उपवास करने वाले श्रावकों का सम्मान किया गया। दस दिन का उपवास करने वाले 71 श्रद्धालुओं, 3 दिन के तेले करने वाले (3 दिवस के उपवास) 700 से अधिक श्रद्धालुओं को मंदिर से उतारा जाकर उनको शोभायात्राओं के रूप में बग्गी में बैठाकर उनके निवास तक पहुंचाया गया। त्यागी-व्रतियों को पारणे में दूध, ऊकाली, मूंग-मोठ और पंच पेवा खिलाका पारणा करवाया गया।
शास्त्री नगर में मुनि विभंजन सागर, मानसरोवर वरुण पथ में आर्यिका विज्ञाश्री जनकपुरी में आर्यिका गौरवमती, गायत्री नगर में आर्यिका विमलप्रभा के सानिध्य में कई कार्यक्रम हुए। मंगलवार को षोड्षकारण व्रत का समापन होगा। गत 27 अगस्त से 32 दिवस का उपवास षोड्षकारण व्रत कहलाता हैं। शहर में 32 दिवस का उपवास करने वाले 6 श्रद्धालु हैं, इसी प्रकार 16 दिवस के सोलहकारण भावनाओं के उपवास करने वाले शहर में 3 श्रद्धालु हैं
यह हुए कार्यक्रम
-वरुण पथ मानसरोवर में गणिनी आर्यिका विज्ञाश्री माताजी के सानिध्य में व्रतियों को सम्मानित किया गया। अंत में त्यागी-वर्तियों का पारणा करवाया गया। वहीं गोपालपुरा स्थित १०-बी मंदिर में भी कार्यक्रम आयोजित हुआ। आर्यिका विज्ञाश्री नेे कहा कि विश्व की सबसे कठिन व्रत प्रणाली जैन धर्म में है, जैनों की तपस्या सबसे कठिन मानी जाती है। क्योंकि उसमें कुछ भी खाना नहीं होता या कुछ तपस्याओं में यदि कुछ खाना होता है तो उसके भी नियम है।
-जनकपुरी ज्योति नगर मंदिर में भादो माह के 32 दिन के उपवास करने वाले 4 श्रावक, 16 दिन के सोलहकारण उपवास करने वाले 2 श्रावक और १0 दिन उपवास करने वाले सभी 15 श्रावकों का समाज समिति द्वारा सम्मान के साथ ही चांदी से निर्मित ह्रि यंत्र का प्रतीक चिन्ह भेंट किया। आर्यिका गौरवमति ने कहा कि साधना और आराधना ये दोनों ठीक उसी तरह है जैसे इंसान का शरीर और सांस। शरीर में जितना महत्व सांस का है उतना ही महत्व साधना और आराधना का भी होना चाहिए। जो प्राणी तप करता है उसकी संस्कृति की पहचान अपने आप होने लगती है और संस्कारों का प्रभाव दिखता है।
-प्रताप नगर स्थित शान्तिनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर के मां विशुद्ध संत भवन में आर्यिका विशुद्धमति के 50 वें स्वर्णिम संयम दीक्षा वर्ष के मौके पर भक्तामर और वलय स्त्रोत का रिद्धि मंत्रो के साथ साज-बाज से वाचन किया। 51 परिवारों द्वारा भगवान आदिनाथ और आर्यिका के चित्र के सम्मुख 51 दीप समर्पित किए गए।
-पाश्र्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर त्रिवेणी नगर में दस दिन के उपवास करने वाले त्यागियों को मंदिर समिति, महिला मंडल द्वारा तिलक लगा कर स्वागत किया गया । इसके बाद जुलूस के रूप में संत भवन में लाया गया जहां उनका पालणा करवाया गया ।

आज मांगेगे क्षमा
मंगलवार को दिगम्बर सम्प्रदाय का क्षमापर्व पड़वा ढोक मनाएंगे। इस मौके पर २५० से अधिक मंदिरों में श्रीजी के कलशाभिषेक के बाद आरती का पुण्यार्जन होगा। इसके बाद पड़वा ढोक(क्षमावाणी) मनाया जाएगा। वर्ष भर जाने-अनजाने में हुई गलतियों के लिए रिश्तेदारों, परिचितों, परिजनों और मित्रों से क्षमा मांगेगे और खोपरा मिश्री खिलाएंगे। यह क्रम सात दिनों तक चलेगा। शाम को मंदिरों मे भगवान को पंडुकशिला में विराजमान करके पूजन आदि के साथ स्वर्ण कलशों से भगवान का पंचामृत अभिषेक किया जाएगा।
वहीं दुर्गापुरा स्थित मंदिर में मंगलवार को मेधावी छात्र-छात्राओं और व्रतियों का सम्मान किया जाएगा। समन्वयक भारत भूषण अजमेरा ने बताया कि कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सूचना और जनसंपर्क विभाग के कमीश्नर रवि जैन सहित अन्य विशिष्टजन मौजूद होंगे।
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