scriptगणेश प्रतिमा विसर्जित, भगवान विष्णु की आराधना | JAIPUR ANANT CHATURDASHI GANESH VISARJAN | Patrika News

गणेश प्रतिमा विसर्जित, भगवान विष्णु की आराधना

locationजयपुरPublished: Sep 12, 2019 08:30:49 pm

Submitted by:

Girraj Sharma

भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी (Bhadrapad Shukla Chaturdashi) पर गुरुवार को अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdashi) मनाई गई। घरों में विराजमान गणेशजी की प्रतिमाओं को शोभायात्रा के रूप में जलाशयों पर लेजाकर विसर्जन (Ganesh Visarjan) किया गया। इसके साथ ही गणेश जन्मोत्सव का समापन हुआ। वहीं मंदिरों व घरों में भगवान विष्णु की पूजा.अर्चना की गई।

गणेश प्रतिमा विसर्जित, भगवान विष्णु की आराधना

गणेश प्रतिमा विसर्जित, भगवान विष्णु की आराधना

गणेश प्रतिमा विसर्जित, भगवान विष्णु की आराधना
घर से मंदिर तक अनन्त चतुर्दशी का उल्लास
भगवान विष्णु की हुई पूजा-अर्चना
जैन मंदिरों में चौबीस तीर्थंकरो की पूजा व विशेष कलशाभिषेक
– सुबह से ही गणेश प्रतिमाओं का हुआ विसर्जन
जयपुर। भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी (Bhadrapad Shukla Chaturdashi) पर गुरुवार को अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdashi) मनाई गई। घरों में विराजमान गणेशजी की प्रतिमाओं को शोभायात्रा के रूप में जलाशयों पर लेजाकर विसर्जन (Ganesh Visarjan) किया गया। इसके साथ ही गणेश जन्मोत्सव का समापन हुआ। वहीं मंदिरों व घरों में भगवान विष्णु की पूजा.अर्चना की गई। उधर, जैन मंदिरों में चौबीस तीर्थंकरों की पूजा की गई और विशेष कलशाभिषेक किए गए। दिनभर मंदिरों में भक्तों की भीड़ रही।
घर-घर व मंदिरों में भगवान विष्णु की अनंत भगवान के रूप में विशेष पूजा-अर्चना की। घर-घर रोट बनाकर भगवान को अर्पित किए गए। अनंत भगवान की कथा सुनी। अखंड सुहाग की कामना के लिए महिलाओं ने डोरा पहना। भगवान विष्णु के मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना की गई। महिलाओं ने ठाकुरजी के समक्ष 14 ग्रंथी युक्त अनंत सूत्र यानी 14 गांठ वाला धागा रख कर उसकी पूजा की। अनंत रक्षासूत्र को पुरुषों ने दाएं हाथ और महिलाओं ने बाएं हाथ में बांधा।
गणेश चतुर्थी पर घर-घर में प्रतिष्ठित भगवान गणपति को अनंत चतुर्दशी पर विसर्जन किया गया। शहर में दिनभर गणपति बप्पा मोरिया अगले बरस तू जल्दी आ… का जयघोष गंूजता रहा। मिट्टी की गणेश प्रतिमाओं का घर में ही विसर्जन किया गया। बड़ी प्रतिमाओं को शोभायात्रा के रूप में जलमहल, आमेर के सागर, कानोता बांध व चंदलाई बांध के साथ गोनेर के जगन्नाथ सागर तालाब ले जाया गया। वहां जयकारों के साथ मूर्ति का विर्सजन किया गया। इसके साथ ही गणेश जन्मोत्सव का समापन हुआ।
उधर, अनंत चतुर्दशी पर जैन समाज के दशलक्षण पर्व का समापन हुआ। इस मौके पर मंदिरों में चौबीस तीर्थंकरों की विशेष पूजा-अर्चना की गई। श्रीजी के कलशाभिषेक व शांतिधारा की गई। अनंत चतुर्दशी के विशेष कलशाभिषेक किए गए। श्रीशांतिनाथ दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र शांतिनाथजी की खोह में जैन धर्मावलंबियों ने भगवान आदिनाथए शान्तिनाथ की अष्टद्रव्य से भक्तिभाव से पूजा अर्चना की। इसके बाद विधान मंडल पर चौबीस तीर्थंकरो की पूजा की गई। वहीं महाआरती की गई। मानसरोवर स्थित वरुण पथ दिगम्बर जैन मंदिर में दशलक्षण महापर्व के अंतिम दिन उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म व 12वें तीर्थंकर भगवान वासुपूज्य का निर्वाण दिवस मनाया गया। अनंत चतुर्दशी के उपलक्ष्य में मूलनायक महावीर भगवान के स्वर्ण एवं रजत कलशों से कलशाभिषेक किए गए। शहर के अन्य जैन मंंदिरों में भी विशेष आयोजन हुए।