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पॉलिटिकल टूरिज्म का हब बना जयपुर, डेढ़ साल में पांच राज्यों की सियासी बाड़ाबंदी

locationजयपुरPublished: Apr 10, 2021 10:34:19 am

Submitted by:

firoz shaifi

-नवंबर 2019 में हुई थी महाराष्ट्र कांग्रेस के विधायकों की बाड़ाबंदी, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्यप्रदेश, राजस्थान और अब असम के प्रत्याशियों की बाड़ाबंदी

political tourism

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फिरोज सैफी/जयपुर।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के तीसरे कार्यकाल में जयपुर पॉलिटिकल टूरिज्म का हब बनकर सामने आया है। नवंबर 2019 से लेकर अब तक पांच राज्यों की सियासी बाड़ाबंदी जयपुर में हो चुकी है। इस लिहाज से जयपुर को बाड़ाबंदी के लिए सबसे मुफीद और सुरक्षित जगह माना गया है, जिन राज्यों की जयपुर में सियासी बाड़ाबंदी हो चुकी है उनमें गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान और असम है। हालांकि ऐसा पहली बार हो रहा हो रहा है कि गैर कांग्रेस नेताओं की कांग्रेस खेमे में बाड़ाबंदी हुई है।


महाराष्ट्र के विधायकों की बाड़ाबंदी
साल 2019 में नवंबर माह में महाराष्ट्र में हुए विधानसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र कांग्रेस के विधायकों को खरीद-फरोख्त से बचाने के लिए जयपुर में बाड़ाबंदी की गई थी। महाराष्ट्र कांग्रेस के विधायकों को दिल्ली रोड स्थित होटल ब्यूना विस्ता रिसोर्ट में ठहराया गया था और बहुमत साबित होने तक विधायक जयपुर में ही रुके थे। खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधायकों की बाड़ाबंदी की कमान संभाली थी।

मध्य प्रदेश में सियासी संकट
फरवरी 2020 में मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के चलते तत्कालीन कमलनाथ सरकार पर आए सियासी संकट के दौरान भी मध्य प्रदेश कांग्रेस के विधायकों की जयपुर में बाड़ाबंदी की गई थी। इन विधायकों को भी होटल ब्यूना विस्ता और शिव विलास में शिफ्ट किया गया था। तकरीबन 15 दिनों तक मध्य प्रदेश कांग्रेस के विधायक जयपुर में ही रुके थे। हालांकि कमलनाथ सदन में बहुमत साबित नहीं कर पाए और सरकार गिर गई थी।

गुजरात कांग्रेस के विधायकों बाड़ाबंदी
वहीं फरवरी 2020 में राज्यसभा चुनाव के चलते गुजरात कांग्रेस के विधायकों को भी जयपुर के शिव विलास रिसोर्ट में शिफ्ट किया गया था, यहां गुजरात के आधे विधायकों को शिव विलास तो आधे विधायकों को ग्रीन टी हाउस में ठहराया गया था। हालांकि इस दौरान गुजरात के विधायकों ने जयपुर के ऐतिहासिक इमारतों का भ्रमण भी किया था।

राजस्थान के विधायकों की दो बार बाड़ाबंदी
प्रदेश के कांग्रेस विधायकों और समर्थित विधायकों की भी जयपुर में ही 2 बार बाड़ाबंदी हुई थी। जून 2020 में 30 सीटों पर हुए राज्यसभा चुनाव में खरीद-फरोख्त की आशंका के चलते कांग्रेस के विधायकों की जयपुर में शिव विलास और और एक अन्य लग्जरी रिसोर्ट में बाड़ाबंदी की गई थी। इस बाड़ाबंदी में पार्टी के तत्कालीन प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे, कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रमुख रणदीप सिंह सुरजेवाला सहित कई अन्य नेता भी शामिल थे।

सियासी संकट के समय हुई थी बाड़ाबंदी
वहीं पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट कैंप के बगावत करने के बाद भी कांग्रेस और समर्थित विधायकों की जयपुर में होटल फेयरमाउंट में बाड़ाबंदी की गई थी। तकरीबन 35 दिनों तक सरकार बाड़ाबंदी में ही रही थी। इस दौरान गहलोत सरकार ने सदन में बहुमत साबित करके सरकार बचाई थी।

अब असम के नेताओं की बाड़ाबंदी
अब असम कांग्रेस गठबंधन के प्रत्याशियों की बाड़ाबंदी भी जयपुर के होटल फेयरमाउंट में की गई है। असम में कांग्रेस गठबंधन के प्रत्याशियों की खरीद-फरोख्त ना हो इससे बचने के लिए कांग्रेस ने यहां बाड़ाबंदी का दांव खेला है।

2005 से शुरू हुई थी जयपुर में बाड़ाबंदी
दरअसल जयपुर में बाड़ाबंदी का प्रचलन 2005 से शुरू हुआ है जब राजस्थान की तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने झारखंड की अर्जुन मुंडा सरकार को बचाने के लिए झारखंड के विधायकों की जयपुर में बाड़ाबंदी की थी, उन्हें अजमेर रोड स्थित एक बड़े रिसोर्ट में शिफ्ट किया गया था। बाड़ाबंदी के चलते झारखंड में अर्जुन मुंडा सरकार बच गई थी।

हरीश रावत सरकार पर संकट के समय में बाड़ाबंदी
वहीं 2016 में उत्तराखंड में तत्कालीन कांग्रेस सरकार पर जब सियासी संकट आया था उस वक्त हरीश रावत मुख्यमंत्री थे। भाजपा विधायकों के टूटने और खरीद-फरोख्त के डर से भाजपा ने अपने दो दर्जन से ज्यादा विधायकों को जयपुर भेजा था, इन्हें दिल्ली रोड पर स्थित एक रिसोर्ट में शिफ्ट गया था। धूलंडी का पर्व होने के चलते भाजपा विधायकों ने रिसोर्ट में धूलंडी मनाई थी। हालांकि फ्लोर टेस्ट में हरीश रावत सरकार ने बहुमत साबित कर दिया था।

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