नोटबंदी के बाद हुए ऐसे हालात
आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि नोटबंदी के बाद अचानक राजस्थान का रियल एस्टेट मार्केट धराशायी हो गया, ऐसे में लोगों ने चिटफंड और सहकारी समितियों की ओर रुख किया, जहां उन्हें ऊंची ब्याज दरों का झांसा दिया गया। दरअसल इन पौंजी कंपनियों ने राजस्थानियों की जोखिम उठाने की प्रवृत्ति का पूरा फायदा लिया। इन घोटालों में सबसे ज्यादा नुकसान सेवानिवृत्त कर्मचारियों को हुआ, जिन्होंने अपनी उम्रभर की गाढ़ी कमाई, इन पौंजी स्कीमों में लगा दी।
सेवानिवृत्त लोगों की रकम फंसी
राज्य सरकार की ओर से सहकारी समितियों की शिकायत के लिए बनाए गए पोर्टल पर अब तक 26,000 शिकायतें मिली हैं, जो लाखों निवेशकों के अनुपात में काफी कम हैं। ऐसी एक शिकायत 14 साल पहले सेवानिवृत्त हुए 72 वर्षीय घनश्याम गुप्ता ने की, जिन्होंने अपने बेटे के कहने पर 2015 में नवजीवन सोसायटी में 25 लाख रुपए लगा दिए। उन्होंने यह रकम अपने पोते-पोतियों की शादी के लिए रखी थी। गुप्ता का कहना है कि अब मुझे यकीन हो चुका है कि यह रकम वापस नहीं आएगी। मैंने अपने बेटे से कहा था कि इस रकम को पोस्ट ऑफिस में ही रहने देते हैं, लेकिन वो नहीं माना। दरअसल उनका बेटा नवजीवन सोसायटी में ही काम करता था।
राज्य सरकार की ओर से सहकारी समितियों की शिकायत के लिए बनाए गए पोर्टल पर अब तक 26,000 शिकायतें मिली हैं, जो लाखों निवेशकों के अनुपात में काफी कम हैं। ऐसी एक शिकायत 14 साल पहले सेवानिवृत्त हुए 72 वर्षीय घनश्याम गुप्ता ने की, जिन्होंने अपने बेटे के कहने पर 2015 में नवजीवन सोसायटी में 25 लाख रुपए लगा दिए। उन्होंने यह रकम अपने पोते-पोतियों की शादी के लिए रखी थी। गुप्ता का कहना है कि अब मुझे यकीन हो चुका है कि यह रकम वापस नहीं आएगी। मैंने अपने बेटे से कहा था कि इस रकम को पोस्ट ऑफिस में ही रहने देते हैं, लेकिन वो नहीं माना। दरअसल उनका बेटा नवजीवन सोसायटी में ही काम करता था।
400 करोड़ से ज्यादा की रकम फंसी
नवजीवन सोसायटी की स्कीम में सात लाख रुपए फंसा चुके सीपी शर्मा का कहना है कि आदर्श, नवजीवन और संजीवनी सोसायटीज में अकेले जयपुर में सेवानिवृत्त कर्मचारियों की 400 करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम फंसी है। अब इनके पास आय का कोई अन्य श्रोत नहीं रहा, ऐसे में ये पीडि़त या तो अपने परिवार पर आश्रित हैं या फिर ये कहीं काम कर रहे हैं।
नवजीवन सोसायटी की स्कीम में सात लाख रुपए फंसा चुके सीपी शर्मा का कहना है कि आदर्श, नवजीवन और संजीवनी सोसायटीज में अकेले जयपुर में सेवानिवृत्त कर्मचारियों की 400 करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम फंसी है। अब इनके पास आय का कोई अन्य श्रोत नहीं रहा, ऐसे में ये पीडि़त या तो अपने परिवार पर आश्रित हैं या फिर ये कहीं काम कर रहे हैं।
हमने देश का पहला शिकायती पोर्टल बनाया
हमने क्रेडिट सोसायटीज की शिकायत के लिए देश का पहला पोर्टल लॉन्च किया है, जिसका उद्देश्य इनके खिलाफ शिकायतों को दर्ज करने की प्रक्रिया को आसान बनाना है। इन समितियों द्वारा बकाया भुगतान न करने की शिकायतें नवंबर 2018 से आने लगी थीं। हम इन मामले को विशेष परिचालन समूह में ले गए, जिन्होंने इस साल मई-जून में घोटाले का खुलासा किया।
नीरज के पवन, रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां