सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर पूर्ण रोक लगाने से इंकार कर दिया, वहीं बम विस्फोट के आरोपियों पर कुछ कड़ी शर्तें लगाईं हैं। कोर्ट ने सुनवाई 9 अगस्त तक टालते हुए कहा कि यदि उस दिन सुनवाई नहीं होती है तो राज्य सरकार आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 390 के तहत आरोपियों को रिहा नहीं करने के बिंदु पर बहस करने के लिए स्वतंत्र होगी। माना जा रहा है कि मृत्युदंड का मामला होने के कारण इसे तीन सदस्यीय पीठ को भी सुनवाई के लिए भेजा जा सकता है।
– यदि बम विस्फोट के आरोपी किसी अन्य मामले में अंडरट्रायल/दोषी नहीं हैं तो उनके मामले में जमानत बांड की शर्तों का कड़ाई से पालन हो।
– मामले की जांच में खामी को लेकर पुलिस अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई के हाईकोर्ट आदेश की पालना पर रोक।
– राज्य सरकार सैफ और सैफुर्रहमान को नोटिस तामील कराना सुनिश्चित करे।
– आरोपी अन्य मामलों में जमानत प्राप्त करने के लिए हाईकोर्ट के आदेश का सहारा नहीं ले सकेंगे।
– राज्य सरकार ट्रायल कोर्ट का रिकॉर्ड उपलब्ध कराने और पेपरबुक पूरी कराने सहित अन्य दस्तावेजी तैयारी पूरी करवाए।
राज्य सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी, वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष सिंघवी व अधिवक्ता संदीप झा ने कहा कि आरोपियों को हाईकोर्ट के आदेश की पालना में छोड़ा नहीं जाए, क्योंकि इनको बड़ी मुश्किल से पकड़ा जा सका था। इनको छोड़ दिए जाने पर गायब होने का खतरा है। तीन आरोपी घटना के 14 साल बाद भी पकड़ में नहीं आ सके हैं। उधर, पीड़िता राजेश्वरी देवी और अभिनव तिवारी की ओर से अधिवक्ता हाजिर रहे।