जयपुर में जुटे 24 राज्यों के संत-महंत, ब्राह्मण और नेता
राजधानी जयपुर (Jaipur) में देशभर के 24 राज्यों के संत-महंत और ब्राह्मण समाज के नेता जुटे। यहां बिडला ऑडिटोरियम में रविवार को सर्व ब्राह्मण महासभा की ओर से 10वां राष्ट्रीय स्तर का अखिल भारतीय ब्राह्मण सम्मेलन (Brahmin Conference) शुरू हुआ।

जयपुर में जुटे 24 राज्यों के संत-महंत, ब्राह्मण और नेता
- अखिल भारतीय ब्राह्मण सम्मेलन का आयोजन
जयपुर। राजधानी जयपुर (Jaipur) में देशभर के 24 राज्यों के संत-महंत और ब्राह्मण समाज के नेता जुटे। यहां बिडला ऑडिटोरियम में रविवार को सर्व ब्राह्मण महासभा की ओर से 10वां राष्ट्रीय स्तर का अखिल भारतीय ब्राह्मण सम्मेलन (Brahmin Conference) शुरू हुआ। इसमें देशभर में संत-महंत, प्रमुख राजनेता, उधोगपति, चिकित्सक, समाजसेवी, कलाकार और खिलाड़ी शामिल हुए। सम्मेलन में ब्राह्मण प्रतिष्ठा की पुनस्र्थापना, सर्व समाज का मार्गदर्शन, वेद, कर्मकाण्ड, ब्राह्मण परम्परा व ब्राह्मण युवाओं की दशा और दिशा पर भी चर्चा शुरू हुई।
राज्यपाल कलराज मिश्र ने सम्मेलन में कहा कि ब्राह्मण एक जाति नहीं, एक समुदाय है, उसे जाति के अंदर नहीं बाधना चाहिए। जाति में बांधने से ब्राह्मण की विशालता समाप्त हो जाएगी। ब्राह्मण से पूरा समाज बलवान बनता है। राज्यपाल मिश्र ने ब्राह्मणों में आचरण की शुद्धता की आवश्यकता जताई। उन्होंने कहा कि हमें सकारात्मक दिशा ही अपनानी चाहिए। राज्यपाल मिश्र ने पाठशालाओं को संस्कार का केन्द्र बनाने की जरूरत जताई।
हरिद्वार के दक्षिण काली मंदिर के पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी ने कहा कि हमारी बेटी, रोटी और चोटी दूषित नहीं हो पाए। उन्होंने दावा किया कि पृथ्वी पर ब्राह्मण और दांत का ही जन्म दो बार होता है। सांसद रामचरण बोहरा ने नई पीढी में संस्कार आए, उस दिशा में काम करने की जरूरत जताई। उन्होंने कहा कि गुरुकुल की परंपरा खत्म हो गई है। गुरुकुल के लिए जमीन आवंटित होनी चाहिए। आदर्श गुरुकुल की स्थापना कर युवा पीढी को संस्कारवान बना सकते हैं। वहीं सांसद अशोक वाजपेयी ने कहा कि समाज को संगठित करने की आवश्यकता है। लोगों को एक-दूसरे का पूरक बनने की आवश्यकता है। आलोचना करने का काम नहीं करें।
सर्व ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पं. सुरेश मिश्रा ने बताया कि सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय स्तर पर सामाजिक, राजनीतिक, आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक रूप से सक्रिय ब्राह्मणों को एक मंच पर लाकर आज के परिवेश एवं परिस्थितियो में ब्राह्मण की भूमिका एवं समाज में उनके योगदान पर चिंतन करना है।
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