सीए फाइनल ओल्ड स्कीम में ऑल इंडिया रैंक स्कोर करने वाले शहर के दोनों ही स्टूडेंट्स किसी भी एग्जाम की तैयारी कर रहे बच्चों के लिए इंस्पीरेशन से कम नहीं है। अभिनव और पूजा दोनों ने ही छठवें अटैम्प्ट में सीए क्लीयर किया है और ऑल इंडिया टॉप-५० मैरिट में जगह बनाई है। दोनों इस बात का उदाहरण है कि जरूरी नहीं कि सफलता आपको तुरंत मिल जाए, लेकिन आप अपने लक्ष्य के लिए लगातार मेहनत करते हैं तो एक दिन आपको सफलता जरूरी मिलेगी। सफलता एक दिन में नहीं मिलती, लेकिन एक दिन जरूर मिलती है।
सर्वेश काबरा : एआइआर-11 (न्यू स्कीम) अपना सक्सेस सीक्रेट शेयर करते हुए सर्वेश ने बताया कि सिर्फ आइसीएआइ के स्टडी मैटेरियल से पढ़ाई की। साथ ही सभी मॉक टेस्ट भी दिए। मेरा मानना है कि स्टूडेंट्स को ज्यादा से ज्यादा मॉक टेस्ट देने चाहिए, इससे आपके डाउट्स क्लीयर होते हैं। सोशल मीडिया से वैसे तो दूर रहा, लेकिन मूड फ्रेश करने के लिए कभी-कबार यूज किया करता था। सर्वेश ने पहले ही अटैम्प्ट में यह सफलता प्राप्त की है।
ऑल इंडिया 28वीं रैंक स्कोर करने वाली अपूर्वा का कहना है कि रेगुलर स्टडी, हार्डवर्क और पैशेंस से हर सफलता पाई जा सकती है। दूसरे ऑथर्स की जगह सिर्फ आइसीएआइ की ओर से जारी स्टडी मैटेरियल पर फोकस किया। साथ ही खुद को मोटिवेट करना भी बहुत जरूरी है। सोशल मीडिया पर एक्टिव नहीं रही, मुझे लगता है कि ये आपको आपके गोल से दूर करता है। मैंने रोजाना १० से १२ घंटे पढ़ाई करके फस्र्ट अटैम्प्ट में सक्सेस पाई है।
हर्षा सोनी : एआइआर-35 (न्यू स्कीम) फस्र्ट अटैम्प्ट में ऑल इंडिया 35वीं रैंक लाने वाली हर्षा का कहना है कि फैमिली मेंबर्स ने हमेशा मोटिवेट किया। खुद पर विश्वास बनाए रखा और हार्डवर्क के दम पर सक्सेस पाई। आइपीसीसी में ऑल इंडिया ३७वीं रैंक थी। मेरा मानना है कि आपको करैक्ट मैटेरियल से ही पढ़ाई करनी चाहिए। ये जरूरी नहीं कि सब कुछ पढ़ा जाए, लेकिन जरूरी है कि चाहे कम पढ़ो, लेकिन अच्छा और ठीक पढ़ो। स्पीड और एक्यूरेसी दोनों सफलता के मूलमंत्र है। आगे सिविल सर्विस का गोल है।
मेरा मानना है कि आपको लाइफ में गोल को लेकर कन्फ्यूज नहीं होना चाहिए। मुझे पांच अटैम्प्ट में सफलता नहीं मिली, लेकिन मैंने अपने सपनों का पीछा नहीं छोड़ा। अपने लक्ष्य के लिए मेहनत करता रहा और सफलता पाई। आइसीएआइ के स्टडी मैटेरियल को फॉलो किया। पैरेंट्स, टीचर्स और फ्रेंड्स ने हमेशा स्टडी के लिए मोटिवेट किया।
पूजा नयाल : एआइआर-35(ओल्ड कोर्स) एक सैकंड में लाइफ कैसे चेंज होती है, आज महसूस कर रही हूं। जितना एक स्टूडेंट अपनी जर्नी में सफर करता है, उतने ही उसके पैरेंट्स भी करते हैं। मां ने भी मेरी स्टडी में अपनी रातें दी हैं। ऐसा लग रहा है कि आज मां भी मेरे साथ सीए बन गई है। दो-तीन अटैम्प्ट के बाद एक बार तो लगा कि ये अब मुझसे नहीं होगा। मैं लगभग गिवअप कर चुकी थी। मेरा सभी को मैसेज है कि कभी कोशिश करना नहीं छोड़ें, क्या पता अगला पल आपकी सक्सेस का इंतजार कर रहा हो। अपने गोल को लेकर आप जितने क्लीयर और श्योर है, आपकी सक्सेस की गारंटी भी उतनी ही है।