scriptजब जयपुर आए भगवान श्रीकृष्ण | JAIPUR CHARAN MANDIR NAHARGAGH PAHADIYA | Patrika News

जब जयपुर आए भगवान श्रीकृष्ण

locationजयपुरPublished: Aug 23, 2019 08:42:05 pm

Submitted by:

Girraj Sharma

जयपुर। भगवान श्रीकृष्ण (Sri karishna) ने जयपुर की धरा पर भी अपने कदम रखे थे, इसके साक्ष्य आज भी नाहरगढ़ की पहाडिय़ों (nahargadh ki pahadiya) पर मौजूद है, जहां बाद में चरण मंदिर (charan mandir) का निर्माण करवाया गया। बताया जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण द्वापर युग में नाहरगढ़ की पहाडिय़ों पर पधारे थे। तभी के भगवान श्रीकृष्ण और गायों के चरण चिह्न आज भी मौजूद है।

जब जयपुर आए भगवान श्रीकृष्ण

जब जयपुर आए भगवान श्रीकृष्ण

जयपुर। भगवान श्रीकृष्ण (Sri karishna) ने जयपुर की धरा पर भी अपने कदम रखे थे, इसके साक्ष्य आज भी नाहरगढ़ की पहाडिय़ों (nahargadh ki pahadiya) पर मौजूद है, जहां बाद में चरण मंदिर (charan mandir) का निर्माण करवाया गया। बताया जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण द्वापर युग में नाहरगढ़ की पहाडिय़ों पर पधारे थे। तभी के भगवान श्रीकृष्ण और गायों के चरण चिह्न आज भी मौजूद है।
हजारों साल पहले भगवान श्रीकृष्ण द्वारका से मथुरा जाते समय आमेर की पहाडिय़ों से निकले थे। द्वापर युग में श्रीकृष्ण की यात्रा का गवाह चरण मंदिर है। मंदिर में श्रीकृष्ण के दाहिने पैर और उनकी गायों के पांचों खुरों के प्राकृतिक निशानों की पूजा होती है। यहां आज भी देश-दुनिया से हजारों लोग भगवान श्रीकृष्ण के इन चरण चिह्नों के दर्शनों के लिए आते हैं।
लोकमान्यता के अनुसार श्रीकृष्ण द्वापर युग में विराट जनपद (विराटनगर) में पांडवों के अज्ञातवास के दौरान यहां कई बार मिलने आए थे। इसके प्रमाण भागवत कथा के दशम् स्कंध के चतुर्थ अध्याय में वर्णित विद्याधर (सुदर्शन) के उद्धार में वर्णित है। इसके अनुसार नंद बाबा को एक अजगर ने पकड़ लिया था, तब श्रीकृष्ण नंदबाबा को अजगर से मुक्त कराने नाहरगढ़ की पहाडिय़ों पर आए थे। अजगर इन्द्र के पुत्र सुदर्शन के रूप में प्रकट हुए और कृष्ण को बताया कि उसने कुरुप ऋषियों का अपमान कर दिया था, इससे नाराज ऋषियों ने उसे अजगर बनने का श्राप दे दिया। नागहगढ़ पहाड़ी पर चरण मंदिर सुदर्शन की खोळ और सुदर्शन मंदिर आज भी प्रसिद्ध है। चरण मंदिर के नीचे सुदर्शन की खोल में कदम के हजारों पेड़ आज भी मौजूद है। द्वापर युग में नाहरगढ़ के पास में स्थित चरण मंदिर का पहाड़ी वन क्षेत्र अंबिका वन के नाम से जाना जाता था।
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