अब शुरु हुआ खेल…
कंपनी ने मिलीभगत से जमीन का आवंटन पत्र,लीज डीड व कब्जा पत्र एक दूसरी कंपनी इंटरनेशन एम्यूजमेंट एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर लि.नई दिल्ली के नाम से प्राप्त कर लिए। जबकि सरकार ने इंटरनेशनल एम्यूजमेंट लि. केा जमीन आवंटित करने की मंजूरी दी थी। इस कंपनी की स्थापना २००६ मंे ही हुई थी और कंपनी के पास कोई संपत्तियां नहीं थीं एेसे में यदि वह आमजन और सरकार को आर्थिक नुकसान पहुंचाती है तो उससे वसूली नहीं हो सकेगी।
योजना का कोई पता तक नहीं…
आज तक कंपनी ने एम्यूजमेंट पार्क का काम शुरु नहीं किया है। कंपनी ने करीब २५० लोगों को जेडीए की मंजूरी के आधार पर कार्मिश्यल काम्पलैक्स,दुकानें,सिनेमा हॉल आदि बनाने के नाम पर करीब एक हजार करोड़ रुपए ले लिए हैं। इस संबंध में शहर के अलग-अलग थानों में करीब आठ एफआईआर दर्ज हैं। परिवादी ने भी जमीन पर दुकान लेने के लिए कंपनी को एक करोड़ ६४ लाख रुपए दिए थे। लेकिन,आज तक ना दुकान मिली है ना ही तय शर्त के अनुसार ५० लाख रुपए पर ब्याज दिया है और ना ही मूल राशि लौटाई है।
यह हैं आरोपी-
इंटरनेशनल एम्यूजमेंट लि. के निदेशक नरेन्द्र सुराणा,एफ.के.शेरवानी,रतन सिंह,ज्ञान विजनेश्वर,रोबिन विजनेश्वर,मोनी विजनेश्वर,सतपाल जुनेजा, इंटरनेशनल एम्यूजमेंट लि. व इंटरनेशनल एम्यूजमेंट इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रा.लि. के सभी निदेशक,
तत्कालीन जेडीसी डी.बी.गुप्ता,सचिव रामनिवास मीना,अतिरिक्त आयुक्त पूर्व बी.के.दोषी,उपायुक्त जोन-१२ डी.आर.सैनी,उपायुक्त राजेन्द्र कुमार शर्मा,जोन-१२ में लिपिक सुरेश कुमार मोदी तथा जोन १२ का अमीन श्रवण यादव।